क्या बदलेगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला? आज स्पेशल बेंच तय करेगी आवारा कुत्तों का भविष्य
punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 05:30 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर जारी ज्वलंत मामले को अब नई तीन-जजों की विशेष पीठ को सौंपा है। इस पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजरिया शामिल हैं। पिछले आदेश देने वाले न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन इस सुनवाई का हिस्सा नहीं होंगे। आज इस पीठ के समक्ष कुल चार याचिकाएं शामिल होंगी, जिनमें एक suo motu मामला, एक 2024 की याचिका और दो अन्य PIL शामिल हैं।
पिछले आदेश की रूपरेखा
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सत्र प्रारंभिक आदेश
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की दो-जजों की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया—चाहे वे नसबंद हों या नहीं। उन्हें वापस सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत नसबंदी, टीकाकरण, वैक्सीनेशन, डियोवर्मिंग जैसे उपाय किए जाएंगे। -
समय सीमा और सुविधाएं
वह बेंच ने 6–8 हफ्तों के भीतर कम से कम 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर तैयार करने का निर्देश दिया, साथ ही ये शेल्टर किस स्थान पर होंगे यह भी बताया जाना था। इमारतों में सीसीटीवी, प्रशिक्षित स्टाफ और उचित बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान किया गया था। -
सख्त कार्रवाई का आश्वासन
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस कार्य में बाधा डालता है—जैसे शेल्टर से कुत्तों को निकालना, सड़क पर वापस छोड़ना या अवरोध करना—तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। -
हितों का टकराव और प्रतिक्रिया
पशु-प्रेमी और वकालतकर्ता इस आदेश को अमानवीय, अव्यवहारिक और अनैतिक मान रहे हैं। उनका जोर है कि इस कदम से समस्या हल नहीं होगी—बल्कि नए आवारा कुत्तों की समस्या सामने आएगी। कांग्रेस नेता मनेका गांधी ने इसे “unworkable & rubbish” बताया और अदालत में पुनर्विचार की मांग की।
आज की सुनवाई—क्या उम्मीद रखें?
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तीन-जजों की विशेष बेंच अब इस विवादित आदेश और उसके प्रभाव को पुनः समीक्षा करेगी। उनकी भूमिका इस मामले की संवेदनशीलता और व्यापक सामाजिक प्रभाव के मद्देनजर अहम है।
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CJI गवई ने संकेत दिया है कि आदेश पर दोबारा विचार की संभावना है, जिससे इस पूरे मामले को संतुलित दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलेगा।
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लोकहित बनाम पशु कल्याण—यह इस सुनवाई की मुख्य चुनौती है: न्याय को यह तय करना है कि क्या सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है, या मानवीय तरीकों से समस्या का दीर्घकालीन समाधान संभव है।
इस सुनवाई का परिणाम पूरे देश में आवारा पशुओं के प्रबंधन और स्थानीय प्रशासनिक रवैये को प्रभावित कर सकता है—
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क्या शेल्टर प्रणाली को तेज़ी से लागू किया जाएगा, या
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क्या मानव–पशु सहअस्तित्व के संवेदनशील मॉडल अपनाए जाएंगे?
नज़रें सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई पर टिकी हुई हैं।