Chandrayaan-3: लंबी है चुनौतियों की लिस्ट, क्या नष्ट हो जाएंगे चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर, इसरो चीफ ने किया आगाह

punjabkesari.in Friday, Aug 25, 2023 - 02:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है। चांद के दक्षिणी धुव्र पर लैंडर उतरवाने के मामले में भारत पहला देश बन गया है जबकि चांद की सतह को छूने के मामले में चौथा देश। लैंडर और रोवर के सफलतापूर्वक उतरने के बाद इसरो को उम्मीद है कि यह मिशन 14 दिनों बाद भी जारी रहेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने गुरुवार को बताया कि, लैंडर से रोवर बाहर निकल गया है। इसरो प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रोवर अब अच्छी तरह काम कर रहा है। इसके साथ उन्होंने मिशन के सामने आने वाली चुनौतियों को भी जिक्र किया है।  
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लेकिन आगे चैलेंज हो सकता है
इसरो चीफ ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, 'चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर दोनों पूरी तरह से ठीक है और सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है। लेकिन आगे चैलेंज हो सकता है। चांद पर वायुमंडल मौजूद नहीं होने के कारण वस्तुएं चंद्रयान-3 से टकरा सकती है। इसके अलावा थर्मल प्रॉब्लम और कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट की समस्या भी आ सकती है।  

तो लैंडर और रोवर दोनों नष्ट हो जाएंगे
इसरो चीफी सोमनाथ ने कहा, 'यदि कोई क्षुद्रग्रह या अन्य कोई अन्य वस्तु बहुत तेज गति से चंद्रयान-3 से टकराती है तो लैंडर और रोवर दोनों नष्ट हो जाएंगे। आप चंद्रमा की सतह को देख सकते हैं। यह अंतरिक्ष पिंडों की मार से बने निशानों से भरा हुआ है। पृथ्वी पर भी हर घंटे लाखों अंतरिक्ष पिंड आते हैं, लेकिन हमें यह महसूस नहीं होता क्योंकि हमारा वायुमंडल उन सभी पिंडों को जला देता है।
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भारत ने चांद पर चहलकदमी की
वहीं, इसरो ने बताया कि रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकल गया है। इसने कहा, भारत ने चांद पर चहलकदमी की। कुल 1752 किलोग्राम वजनी लैंडर और रोवर चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करने के वास्ते एक चंद्र दिन के प्रकाश में परिचालन करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि, इसरो के अधिकारी इनके एक और चंद्र दिवस के लिए सक्रिय होने की संभावना को खारिज नहीं कर रहे। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सॉफ्ट लैंडिंग के बाद की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा था, ‘‘इसके बाद एक के बाद एक सारे प्रयोग चलेंगे। ये सभी चंद्रमा के एक दिन में जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है, में पूरे करने होंगे।''
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जैसे ही सूर्य अस्त होगा, हर तरफ गहरा अंधेरा होगा
उन्होंने कहा था कि जब तक सूरज की रोशनी रहेगी, सारी प्रणालियों को ऊर्जा मिलती रहेगी। सोमनाथ ने कहा, ‘‘जैसे ही सूर्य अस्त होगा, हर तरफ गहरा अंधेरा होगा। तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा। तब प्रणालियों का काम कर पाना संभव नहीं होगा और यदि यह आगे चालू रहता है तो हमें खुश होना चाहिए कि यह फिर से सक्रिय हो गया है और हम एक बार फिर से प्रणाली पर काम कर पाएंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि ऐसा ही कुछ हो।''


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Content Editor

rajesh kumar

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