'निलंबन की जगह प्रिंसिपल का ट्रांसफर क्यों किया गया?', कोलकाता कांड पर SC ने खड़े किए कई सवाल
punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2024 - 03:05 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कोलकाता के सरकारी आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में लंच के बाद दोबारा सुनवाई करते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 14 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई? इसके साथ ही कोर्ट ने प्रिंसिपल की दूसरी जगह नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। शीर्ष अदालत ने बंगाल सरकार के वकील सिब्बल से पूछा जब प्रिंसिपल को उस कॉलेज से हटाया गया तो दूसरी जगह प्रिंसिपल क्यों बना दिया गया?
FIR में 14 घंटे की देरी पर सिब्बल ने दिया ये जवाब
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि रात 11:30 बजे एफआईआर दर्ज करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता जबकि शव बहुत पहले बरामद किया गया था। सीजेआई ने कहा कि 14 घंटे की देरी के बाद एफआईआर दर्ज करने का क्या कारण है? इस पर सिब्बल ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने कहा था कि जब हम औपचारिक शिकायत देंगे, तभी एफआईआर दर्ज की जाए।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सीबीआई कोर्ट को निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि सीबीआई कोर्ट 23 अगस्त शाम पांच बजे तक घोष के पॉलीग्राफ टेस्ट की मंजूरी दे।
सीजेआई ने सीमेन मिलने के दावे को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वकीलों को सख्त हिदायत दी है कि वे अपने तर्क सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर नहीं बनाएं। उन्होंने यह बात उस समय कही जब एक मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर चर्चा हो रही थी। सीजेआई ने 151 एमएल सीमेन मिलने के दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि उनके पास असली पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।
पुलिस के आरोपों को बताया गलत
उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस का यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि डॉक्टर की मौत के बाद सदमे में आए पीड़िता के पिता ने शुरुआत में एफआईआर दर्ज नहीं कराने को कहा था। उन्होंने साफ किया कि एफआईआर पीड़िता के पिता के कहने पर ही दर्ज की गई थी, न कि अस्पताल द्वारा। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि पुलिस का यह दावा कि पीड़िता के पिता ने ही एफआईआर दर्ज न करने को कहा था, सरासर गलत है। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि एफआईआर अस्पताल ने नहीं, बल्कि पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई थी। इस बयान के साथ, सॉलिसिटर जनरल ने कोलकाता पुलिस के आरोपों को खारिज किया और स्थिति को स्पष्ट किया।