Breast Cancer Risk: हर 8 मिनट में एक भारतीय महिला को क्यों निगल रहा ब्रेस्ट कैंसर? जानें क्या है ''डेंस ब्रेस्ट''

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 01:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क। हर साल अक्टूबर को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है लेकिन भारत के लिए यह जागरूकता एक गंभीर चेतावनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2022 में स्तन कैंसर से दुनिया भर में 6.7 लाख महिलाओं की मौत हुई। चिंताजनक यह है कि अगर हालात नहीं बदले तो 2050 तक ये मामले और मौतें लगभग 40% तक बढ़ सकती हैं। भारत में हर 4 मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर का पता चलता है। भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की स्तन कैंसर से मृत्यु हो जाती है।

डेंस ब्रेस्ट (Dense Breast): कैंसर को छिपाने वाला ऊतक

स्तन कैंसर की समय पर पहचान में एक बड़ी चुनौती 'डेंस ब्रेस्ट' है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक आम शारीरिक संरचना है जहां स्तन में फैट (चर्बी) कम होती है और दूध बनाने वाला ग्लैंड व सपोर्ट देने वाला फाइब्रस टिशू (रेशेदार ऊतक) ज्यादा होता है। 40 साल से ऊपर की लगभग आधी महिलाओं के स्तन घने होते हैं।

डेंस ब्रेस्ट में कैंसर क्यों छिपता है? 

स्तन कैंसर का पता लगाने का सबसे आम तरीका मैमोग्राफी (Mammogram) है लेकिन डेंस ब्रेस्ट इसमें बाधा डालते हैं:

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सफेद रंग की चुनौती: मैमोग्राफी में घना टिशू और कैंसर ट्यूमर दोनों ही सफेद रंग के दिखते हैं।

छिपने का खेल: इस वजह से ट्यूमर घने ऊतक के पीछे छिप जाता है जिसे डॉक्टर की नज़र भी आसानी से पकड़ नहीं पाती। इसे ही "मास्किंग इफेक्ट" कहा जाता है।

शोध बताते हैं कि डेंस ब्रेस्ट वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा उन महिलाओं की तुलना में 4 से 6 गुना तक ज्यादा हो सकता है जिनके स्तन वसायुक्त (fatty) होते हैं।

घने स्तनों का पता कैसे लगाएं और क्या करें?

स्तन छूकर, देखकर या स्व-परीक्षण (Self-Examination) से यह पता लगाना असंभव है कि स्तन घने हैं या नहीं। इसका एकमात्र तरीका मैमोग्राफी है। अगर आपकी मैमोग्राम रिपोर्ट में "विषम रूप से सघन" या "अत्यधिक सघन" (BI-RADS कैटेगरी C या D) लिखा है तो आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी।

1. डॉक्टर से बात करें और सप्लीमेंटल स्क्रीनिंग कराएं

मैमोग्राम बंद न करें यह अभी भी स्क्रीनिंग का आधार है लेकिन अपनी डॉक्टर से बात करके 'अतिरिक्त जांच' (Supplemental Screening) कराएं:

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ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड (Breast Ultrasound): यह घने टिश्यूज की परतें देखने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।

एमआरआई (MRI): यह खासकर उच्च जोखिम वाली महिलाओं के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें देता है।

3D मैमोग्राफी (Tomosynthesis): यह ब्रेस्ट की कई परतों की तस्वीरें लेता है जिससे कैंसर के छिपने की संभावना कम हो जाती है।

2. जीवनशैली और नियमितता बनाए रखें

घनेपन को बदला नहीं जा सकता लेकिन आप अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं:

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स्क्रीनिंग का समय: 40 साल की उम्र से हर साल मैमोग्राम जरूर कराएं।

जीवनशैली: स्वस्थ वजन बनाए रखें, नियमित व्यायाम करें और शराब का सेवन सीमित करें।

सतर्कता: ब्रेस्ट में कोई गांठ, निप्पल से स्राव (Discharge), या त्वचा में बदलाव दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।

प्रारंभिक और समय पर निदान ही स्तन कैंसर के बोझ को कम करने का सबसे प्रभावी हस्तक्षेप है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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