कौन हैं दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार? भ्रष्टाचार के आरोप में बेटा भी शामिल, पढ़ें पूरी खबर

punjabkesari.in Wednesday, Nov 15, 2023 - 05:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क : दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। दिल्ली की विजिलेंस विभाग ने जांच में मुख्य सचिव की संलिप्तता पाए जाने का दावा किया है, जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को जांच रिपोर्ट भेजी है और मुख्य सचिव को तत्काल पद से हटाने और उन्हें सस्पेंड करने की सिफारिश की है। 

कौन हैं मुख्य सचिव नरेश कुमार?
1987 बैच के मुख्य सचिव नरेश कुमार अप्रैल 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव बने थे और इसी महीने रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले वो अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उन्हें कार्यकाल में विस्तार मिल सकता है। लेकिन इस विवाद के बाद उनके एक्सटेंशन पर विराम लग सकता है। आईएएस नरेश कुमार एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के अधिकारी हैं। वह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद में चेयरमैन भी रहे हैं।

क्या है आरोप?
मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने द्वारका एक्सप्रेसवे में भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर बेटे की कंपनी को 315 करोड़ का फायदा पहुंचाया है। वहीं आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी यह दावा किया है कि इस भ्रष्टाचार से संबंधित अनियमितताओं में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार भी शामिल हैं। इस मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। मुख्य सचिव के खिलाफ भी जांच के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शिकायत को आगे भेज दिया है।

जानिए पूरा विवाद 
यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण 2017 में शुरू हुआ। इस दौरान जमीन के मालिकों सुभाष चंद कथूरिया और विनोद कुमार कथूरिया को उनकी 19 एकड़ जमीन के लिए 41.52 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। जिसके बाद दोनों सुभाष चंद कथूरिया और विनोद कुमार कथूरिया ने मुआवजे की राशि को चुनौती दी और 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई कानूनी राहत नहीं मिली। 2019 और 2022 के बीच तीन डीएम ने इस मामले को देखा, लेकिन कथूरिया की मुआवजा राशि नहीं बदली। इसी दौरान हेमंत कुमार ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीएम के रूप में कार्यभार संभाला और अप्रैल 2022 में आईएएस नरेश कुमार दिल्ली के मुख्य सचिव बन गए। नरेश कुमार के मुख्य सचिव बनने के एक साल बाद हेमंत कुमार ने कथूरिया की मुआवजा राशि 41.52 करोड़ से बढ़ाकर 353.7 करोड़ रुपये कर दी और यहीं से कहानी में मोड़ आता है। यहां आपको बता दें कि जिस कंपनी में मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे करण चौहान रणनीतिक सलाहकार हैं वह सुभाष चंद कथूरिया के ससुर अमन सरीन की कंपनी है। 

हैरानी की बात यह है कि सितंबर 2020 से करण चौहान बिगटाउन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं, लेकिन इस कंपनी का रजिस्टर्ड पता और ईमेल आईडी अनंत राज लिमिटेड का है। करण चौहान ईएस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी हैं और इसका भी पता और डोमेन नाम अमन सरीन की कंपनी का है। इन खुलासों से पता चलता है कि करण चौहान न सिर्फ सरीन की कंपनी के महज एक कर्मचारी हैं, बल्कि उन्हें अनंत राज से जुड़ी कंपनियों का निदेशक भी बनाया गया है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि करण चौहान ने पारिवारिक और व्यापारिक संबंध के नाते कथूरिया को इतना भारी मुआवजा दिया है। 

हैरानी की बात यह है कि मुख्य सचिव नरेश कुमार ने खुद हेमंत कुमार के खिलाफ विजिलेंस विभाग की जांच शुरू की थी। हेमंत कुमार के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश के कागज भी मिले हैं, जिसमें हेमंत कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए गृह मंत्रालय को सिफारिश की गई है।विजिलेंस की यह रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजी गई। सूत्रों ने बताया कि, गलती करने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश नरेश कुमार ने दिया था। उन्होंने कहा कि अगर यह आपसी मामला होता तो मुख्य सचिव विजिलेंस की जांच शुरू नहीं करते, जिसके कारण यह सीबीआई जांच हुई। 

'मुख्य सचिव भी हैं आरोपी?
दिल्ली सरकार के मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव पर लगाए गए आरोप निराधार है। उन्होंने इसे एक 'ओझी राजनीति' करार दिया और कहा कि उनकी छवि खराब करने के लिए बहुत सारी 'अफवाहें और झूठ' फैलाए जा रहे हैं। अश्विनी कुमार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है।
 


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News Editor

Rahul Singh

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