हैरान कर देगा यह सच, धरती की इस जगह के ‘मालिक’ हैं 50 से ज्यादा देश, फिर भी कोई देश इसका मालिक नहीं!

punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 01:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया में तमाम देशों के बीच सीमाएं बंटी हुई हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसी जगह भी है जिसका कोई एक देश मालिक नहीं है। यह जगह है – अंटार्कटिका, जो पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चलती है। अंटार्कटिका धरती का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है, जो दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है और चारों तरफ से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। यहां का वातावरण इतना सर्द और कठोर है कि आम इंसान यहां रह ही नहीं सकता।

विज्ञान का गढ़, सत्ता से मुक्त

अंटार्कटिका पूरी तरह से शांति और विज्ञान के लिए आरक्षित है। यहां इंसानों की स्थायी बस्ती नहीं है, लेकिन 50 से ज्यादा देशों ने यहां अपने रिसर्च स्टेशन बना रखे हैं, जहां उनके वैज्ञानिक साल भर शोध कार्य करते हैं। यह संभव हुआ है एक विशेष समझौते की वजह से, जिसे अंटार्कटिका संधि (Antarctic Treaty) कहा जाता है।

क्या है अंटार्कटिका संधि?

अंटार्कटिका संधि 1 दिसंबर 1959 को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में साइन की गई थी। शुरुआती तौर पर 12 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 55 से ज्यादा हो चुकी है।

इस संधि के कुछ प्रमुख नियम हैं:

  • अंटार्कटिका पर किसी देश का आधिकारिक स्वामित्व नहीं होगा

  • केवल शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति होगी

  • किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि पर रोक

  • न्यूक्लियर टेस्टिंग या खनन की इजाजत नहीं

  • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना अनिवार्य

यहां क्या करते हैं वैज्ञानिक?

अंटार्कटिका की जलवायु, बर्फ की मोटी परतें और अलग-थलग पड़ने वाला भू-भाग वैज्ञानिकों के लिए एक अद्भुत प्रयोगशाला बनाता है।
यहां के अनुसंधान केंद्रों में काम कर रहे वैज्ञानिक पृथ्वी की जलवायु, मौसम के बदलाव, ग्लेशियरों की स्थिति, ओजोन परत की स्थिति और समुद्री जीवों का अध्ययन करते हैं।

कुछ प्रमुख रिसर्च स्टेशन इस प्रकार हैं:

  • मैकमुर्डो स्टेशन (अमेरिका) – सबसे बड़ा और उन्नत केंद्र

  • भारती और दक्षिण गंगोत्री (भारत) – भारतीय वैज्ञानिकों की खोज का केंद्र

  • प्रिंसेस एलिजाबेथ स्टेशन (बेल्जियम) – पर्यावरण के अनुकूल रिसर्च सेंटर

भारत की मौजूदगी भी मजबूत

भारत भी अंटार्कटिका में सक्रिय है। भारत ने 1983 में अपना पहला रिसर्च स्टेशन दक्षिण गंगोत्री शुरू किया था। इसके बाद मैत्री और भारती नाम के दो और आधुनिक केंद्र बनाए गए। भारती स्टेशन को 2012 में शुरू किया गया था और यह भारत का सबसे आधुनिक अंटार्कटिक बेस है। यहां भारतीय वैज्ञानिक बर्फ में दबे पर्यावरणीय रहस्यों की पड़ताल करते हैं।
अंटार्कटिका में कई जगहों पर बहुमूल्य खनिज जैसे कोयला, तेल और यूरेनियम होने की संभावना है, लेकिन संधि की शर्तों के अनुसार यहां कोई भी देश खनन नहीं कर सकता। यह इलाका भविष्य के लिए भी एक ‘प्राकृतिक बैंक’ के रूप में सुरक्षित किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका उपयोग रिसर्च और पर्यावरण संरक्षण के लिए कर सकें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Ashutosh Chaubey

Related News