Plane Toilets: उड़ते प्लेन में की हुई पॉटी आखिर जाती कहां है?
punjabkesari.in Friday, Jun 13, 2025 - 03:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आधुनिक विमान यात्रा में यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है, जिसमें टॉयलेट की सुविधा भी शामिल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्लेन में टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद वह सारी गंदगी, यानी पॉटी, आखिर कहां जाती है? यह सवाल अक्सर यात्रियों के मन में आता है। आइए, इस रोचक और जरूरी सवाल का जवाब जानते हैं।
प्लेन के टॉयलेट का काम कैसे होता है?
विमान में आम घरेलू टॉयलेट की तुलना में एक पूरी अलग तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिसे वैक्यूम टॉयलेट सिस्टम कहते हैं। जब यात्री फ्लश करते हैं, तो टॉयलेट से जुड़ा एक पाइप काम में आता है जो वैक्यूम की मदद से कचरे को तेज़ी से एक बड़े टैंक की ओर खींच लेता है। यह वैक्यूम सिस्टम कम पानी का इस्तेमाल करता है, जिससे विमान का वजन कम रहता है और ईंधन की बचत होती है।
पॉटी कहां जमा होती है?
विमान में टॉयलेट टैंक का आकार विमान के प्रकार के अनुसार भिन्न होता है, लेकिन आमतौर पर ये 200 लीटर से लेकर 1000 लीटर तक के होते हैं।
यही वह जगह है जहां यात्रियों का सारा मानव कचरा इकट्ठा होता है। इस टैंक को विशेष रूप से सील किया गया होता है ताकि कोई रिसाव न हो और गंध भी बाहर न आ सके। इसके अंदर कचरे को अलग करने के लिए वैक्यूम तकनीक के साथ-साथ केमिकल भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जो गंध और संक्रमण से बचाते हैं।
टैंक की सफाई और निपटान
जब विमान अपनी उड़ान पूरी कर हवाई अड्डे पर लैंड करता है, तो वहां की ग्राउंड क्रू टीम इस वेस्ट टैंक को साफ करने का काम संभालती है। वे एक खास सर्विस ट्रक - जिसे 'हनी ट्रक' कहा जाता है - की मदद से टैंक में जमा कचरे को बाहर निकालते हैं। इसके बाद यह कचरा निपटान के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जाता है, जहां पर्यावरण के अनुकूल तरीके से इसे सुरक्षित रूप से निपटाया जाता है।
क्यों जरूरी है ये तकनीक?
वैक्यूम टॉयलेट सिस्टम न सिर्फ पानी की बचत करता है बल्कि उड़ान के दौरान स्वच्छता और सुरक्षा भी बनाए रखता है। प्लेन में इस तरह के उन्नत सिस्टम के बिना लंबी उड़ानें बेहद असुविधाजनक हो सकती हैं। साथ ही, इस प्रणाली से उड़ान के दौरान हवा में कोई भी कचरा नहीं छोड़ा जाता, जो पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।