विजय दिवस: जब भारतीय जवानों ने पाक को खदेड़ बांग्लादेश को दिलाई थी आजादी
punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2017 - 02:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत और बांग्लादेश के इतिहास में 16 दिसंबर का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसी दिन बांग्लादेश स्वतंत्र घोषित हुआ था। इसमें भारतीय जवानों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था। इस युद्ध की समाप्ति 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ हुई थी। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जो बंगलादेश के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हुये थे और 9,851 घायल हुये थे।
साल 1971 से पहले बांग्लादेश को पूर्व पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान द्वारा भाषा और सांस्कृतिक पांबदिया थोपने के बाद पूर्व पाकिस्तान में विद्रोह हो गया। इस पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने कहर बरपाया। बांग्लादेश के लोगों की मदद के लिए भारतीय सेना ने मदद की। दोनों देशों की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ और 13 दिनों तक युद्ध चलने के बाद पाकिस्तानी सेना की शर्मनाक हार हुई। पाकिस्तानी सेना के करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था।
कहा जाता है कि युद्ध से पहले और युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने करीब दो लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ बलात्कार किया। इस लड़ाई में करीब 30 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं करीब एक करोड़ लोगों ने भारत में शरण ली थी। इस युद्ध में भारत ने अमेरिका की धमकी को भी नजरअंदाज किया था। भारत को डराने के लिए अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी ने अपनी नौसेना को भी तैनात किया था लेकिन भारत ने अमेरिका की एक न सुनी।
On #VijayDiwas we salute the unflinching courage of all those who fought in 1971 and protected our nation diligently. Every Indian is proud of their heroism and service.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2017
वहीं इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विजय दिवस के अवसर पर हम वर्ष 1971 में असाधारण साहस के साथ लडऩे वाले और राष्ट्र का गौरव बचाने वाले सैनिकों को नमन करते हैंं। प्रत्येक भारतीय को उनके साहस और सेवा पर गर्व है। इस मौके पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिया गेट मैदान में अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और वायुसेना प्रमुख बिरेंद्र सिंह धनोआ भी मौजूद थे।