भारतीय लेखिका ने मुक्ति संग्राम पर लिखी किताब, खुशी से गद्गद बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने भारत के लिए कही बड़ी बात
punjabkesari.in Sunday, Apr 28, 2024 - 11:04 AM (IST)
ढाका: बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद ने साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भारतीय लेखिका रीता चौधरी की 1971 के मुक्ति संग्राम का सार बताने वाली नयी किताब की सराहना करते हुए कहा कि उनके देश के कई लोग उपन्यास से इसमें भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बहुत कुछ जानेंगे। यहां एक कार्यक्रम में महमूद को तीन खंडों वाली “नेवरलैंड - जीरो आवर” के विशेष बंगाली संस्करण का पहला खंड प्रस्तुत किया गया।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का दस्तावेजीकरण एक अद्वितीय योगदान है और उपन्यास एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज होगा। मंत्री ने मुक्ति संग्राम के दौरान अपने व्यक्तिगत अनुभवों को भी याद किया और कहा कि बांग्लादेश के कई लोग युद्ध के दौरान भारत के प्रयासों से अपरिचित हैं और नयी पीढ़ी उपन्यास से बहुत कुछ सीखेगी। तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में 25 मार्च, 1971 की आधी रात को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा अचानक की गई कार्रवाई के बाद युद्ध छिड़ गया और 16 दिसंबर को समाप्त हुआ। उसी वर्ष पाकिस्तान ने हार मान ली और ढाका में स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय सैनिकों की मित्र सेनाओं के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।
“नेवरलैंड - जीरो आवर” मूल रूप से पिछले साल असमिया में प्रकाशित हुई थी और युद्ध के कई कम ज्ञात तथ्यों पर प्रकाश डालती है। इस युद्ध ने न केवल वैश्विक भूगोल को बदल दिया, बल्कि लाखों लोगों को अपने देश से भागने के लिए मजबूर किया। नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत की पूर्व अध्यक्ष चौधरी ने 20 अप्रैल को कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि वह तब बांग्लादेश में मौजूद थीं जब यह स्वतंत्र नहीं था और उन्होंने इस देश की आजादी के दौरान सभी पलों को देखा।