क्या था CJI डीवाई चंद्रचूड़ का रिएक्शन? जब SC में बतौर वकील उतरे उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस

punjabkesari.in Monday, Nov 06, 2023 - 07:43 PM (IST)

नेशनल डेस्कः उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणियों के संबंध में एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी का बचाव करने के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पेश हुए। शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को न्यायाधीशों की पूर्ण अदालत के फैसले के बाद जस्टिस मुरलीधर को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया है। जस्टिस मुरलीधर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत में पेश हुए। न्यायिक अधिकारी की ओर से जैसे ही पूर्व न्यायाधीश पेश हुए, प्रधान न्यायाधीश ने मजाकिया अंदाज में कहा, ''मैं भाई मुरलीधर नहीं कह सकता, लेकिन अब मैं मिस्टर मुरलीधर कहूंगा।''

शीर्ष अदालत ने वकील मुरलीधर की इस दलील को दर्ज किया कि न्यायिक अधिकारी का "बेदाग" रिकॉर्ड रहा है। इसने उनके मुवक्किल को प्रतिकूल टिप्पणियों पर लिखित जवाब देने की अनुमति दे दी। जैसे ही कार्यवाही समाप्त हुई, अदालत में एक वकील ने जस्टिस मुरलीधर की प्रशंसा की और कहा, "वह चाहे किसी भी पक्ष के लिए पेश हों, वह एक धरोहर हैं।"

संविधान के अनुच्छेद 220 के तहत, पूर्व हाईकोर्ट के कोई न्यायाधीश केवल सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालयों में वकील के रूप में प्रैक्टिस कर सकते हैं जहां उन्होंने न्यायाधीश के रूप में कार्य न किया हो। जस्टिस मुरलीधर सात अगस्त को उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जज के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालयों के जज के रूप में भी कार्य किया।

आठ अगस्त, 1961 को जन्मे न्यायमूर्ति मुरलीधर 12 सितंबर, 1984 को एक वकील के रूप में नामांकित हुए थे। उन्होंने चेन्नई की अदालतों में प्रैक्टिस की और बाद में दिल्ली चले गए। उन्हें मई 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। छह मार्च, 2020 को उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया था। उनके तबादले पर तब विवाद खड़ा हो गया था। जब केंद्र सरकार ने 26 फरवरी, 2020 की आधी रात पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में उनके स्थानांतरण की अधिसूचना जारी की, जिस दिन उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने कथित घृणा भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने को लेकर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी।

हालाँकि, जस्टिस मुरलीधर ने विवाद पर सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने अपने तबादले को लेकर अपनी सहमति के बारे में तत्कालीन सीजेआई एस ए बोबडे के पत्र का जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने जस्टिस बोबडे से कहा कि उन्हें अपने स्थानांतरण पर कोई आपत्ति नहीं है। सीजेआई मुरलीधर ने चार जनवरी, 2021 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।


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Content Writer

Yaspal

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