कब और कैसे हुआ था पुराने संसद भवन का निर्माण, नई की तुलना में मात्र इतना हुआ था खर्च

punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 07:09 PM (IST)

नई दिल्ली : दिल्ली में स्थित पुराने संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था, और इसका निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ था। इस भवन को डिजाइन करने का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को सौंपा गया था। इन दोनों ने ही भारत की पहली संसद को को डिजाइन किया था। तब इसे काउंसिल हाउस के रुप में जाना जाता था। 

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कैसे चुनी गई जगह?
पुराने संसद भवन के निर्माण के लिए जगह चुनने के लिए बकायदा कमेटी बनाई गई जिसने अलग-अलग तरीकों से इसके लिए जगह की खोज की। कमेटी ने शाहजहां के बसाए शाहजहानाबाद के पास उस वक्त मौजूद मालचा गांव और उसके पास मौजूद एक किले के बीच की जगह, जिसे रायसिना की पहाड़ियां (Raisina Hills) कहा जाता था, को इसके लिए चुना। इसे समतल किया गया और फिर शुरू हुआ भवन का निर्माण कार्य शुरु किया गया। वर्तमान में रायसिना हिल्स में ही राष्ट्रपति भवन, नया संसद भवन नॉर्थ-साउथ ब्लॉक जैसी खूबसूरत इमारतें मौजद हैं।

निर्माण की विशेषताएँ:

  1. डिजाइन और आर्किटेक्चर:

    • एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इस भवन के डिजाइन में भारतीय और ब्रिटिश आर्किटेक्चर का मिश्रण किया। यह भवन न केवल उस समय की आर्किटेक्चर तकनीकों को प्रदर्शित करता है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक तत्वों को भी समेटे हुए है।
    • इसका डिजाइन एक सर्कल के रूप में किया गया था, जो एक महान गोलाकार कक्ष के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र और चार कोनों पर स्तंभों के साथ एक विस्तृत परिधि बनाता है।
  2. निर्माण की अवधि:

    • भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ और 1927 में पूरा हुआ। इस प्रक्रिया के दौरान कई विशेषज्ञों और श्रमिकों ने काम किया और कई कठिनाइयों का सामना किया।
  3. उपयोग:

    • पुराने संसद भवन का उपयोग भारतीय संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, की बैठकों के लिए किया गया था। यह भवन भारतीय संसद की कार्यवाही का मुख्य केंद्र था, जब तक कि नए संसद भवन का निर्माण नहीं हुआ।
  4. विशेषताएँ:

    • भवन में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष होता है, जिसे डायरेक्ट कक्ष कहा जाता है, जिसमें सांसद बैठते हैं। इसके अलावा, इसमें दो प्रमुख भाग हैं: लोकसभा हॉल और राज्यसभा हॉल।
    • भवन के चारों ओर एक चौकोर गलियारा है, जिसे "रिंग" के रूप में जाना जाता है, जो भवन के भीतर से बाहर की ओर खुलता है। यह डिजाइन भव्यता और कार्यक्षमता का प्रतीक है।
  5. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व:

    • यह भवन भारतीय संसद का ऐतिहासिक स्थल है और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसे भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक भी माना जाता है।
    • यह भवन भारतीय आर्किटेक्चर और स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है और इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता देने की मांगें भी उठाई गई हैं।
  6. कितना खर्च आया था? कौन से पत्थर हुए इस्तेमाल?

    96 साल पहले बने संसद भवन को बनाने में उस वक्त 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। इस शानदार इमारत को बनाने में लाल और Beige बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया। आपको बता दें कि पुराने संसद भवन का महत्व भारतीय इतिहास और राजनीति में अत्यधिक है, और यह भवन अपने स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

  7. वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था उद्घाटन

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    जब यह संसद भवन बनकर तैयार हुई तब देश में अंग्रेजों की हुकूमत थी और इसका निर्माण भी अंग्रेजी सरकार द्वारा कराया गया था। पुराने संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को हुआ था। उस समय देश में सर्वोच्च वायसराय हुआ करते थे और उन्हीं से इस सांसद भवन का उद्घाटन भी करवाया गया। 1926 से 1931 तक लॉर्ड इरविन भारत के वायसराय थे। इस कारण भारत में संसद भवन के उद्घाटन का सौभाग्य उन्हें ही हाथ लगा। 18 जनवरी, 1927 को लॉर्ड इरविन ने मौजूदा संसद भवन का उद्घाटन किया था।

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  8.  PM मोदी ने किया नई संसद भवन का उद्धाटन 

    अब अगर सदन के नए भवन के बारे में कुछ तथ्य बताएं तो इसका शिलान्यास 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था वहीं इसका निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसका उद्घाटन 28 मई 2023 को पीएम मोदी के हाथों हुआ था। इस भवन के निर्माण में लगभग 1200 करोड़ रुपए का खर्चा आया है। वहीं इसे डिज़ाइन HCP नामक कंपनी ने किया है।


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Content Editor

Utsav Singh

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