समंदर की वो अदृश्य दीवार जिसे क्रॉस करने में कांपते हैं जानवर, विज्ञान या कोई और वजह? चौंका देगा वजह
punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 06:39 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: समंदर के बीच एक ऐसी अदृश्य रेखा मौजूद है जिसे पार करने में जानवरों और पक्षियों तक के पसीने छूट जाते हैं। इसे वॉलेस रेखा (Wallace Line)कहा जाता है। यह रेखा दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया के बीच जैव विविधता की स्पष्ट सीमा बनाती है। इस रेखा का नाम प्रसिद्ध ब्रिटिश प्रकृतिवादी अल्फ्रेड रसेल वॉलेस के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 19वीं सदी में इसकी पहचान की थी। वॉलेस रेखा एक काल्पनिक लेकिन जैविक रूप से बेहद अहम सीमा है। यह बोर्नियो और सुलावेसी के बीच और बाली और लोम्बोक द्वीपों के बीच से गुजरती है। यह रेखा दर्शाती है कि कैसे एक तरफ के द्वीपों में एशिया के जानवर जैसे बाघ, गैंडा और ओरंगुटान मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया जैसे इलाकों से मिलते-जुलते कंगारू, पॉसम और रंग-बिरंगे काकातुआ पक्षी पाए जाते हैं।
जानवर और पक्षी इस रेखा को क्यों नहीं करते पार?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस रेखा के पार शायद ही कोई जानवर या पक्षी जाता है। इसका कारण केवल डर या आदत नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी भूगर्भीय और जैविक वजहें हैं। इस रेखा के दोनों ओर गहरे समुद्री खाई (deep sea trenches) हैं, जो लाखों सालों तक भूमि पुल बनने से रोकती रहीं। इसका मतलब है कि जानवरों के लिए एक द्वीप से दूसरे द्वीप जाना लगभग नामुमकिन था।
जैव विकास में इस रेखा की भूमिका
वॉलेस लाइन ने लाखों वर्षों तक दो जैव क्षेत्रों को अलग रखा। नतीजा यह हुआ कि दोनों ओर की प्रजातियों ने अलग-अलग विकास किया। एशियाई महाद्वीप की प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट अलग-अलग थीं और इनके बीच कोई जैविक आदान-प्रदान नहीं हो पाया। इसी वजह से आज वॉलेस रेखा के एक ओर हमें एशिया की वनस्पति और जीव-जंतु मिलते हैं और दूसरी ओर पूरी तरह से अलग जैव विविधता।
क्या कभी कोई जानवर पार कर पाया है?
हालांकि कुछ अपवाद भी हैं। समय के साथ कुछ पक्षियों या जानवरों ने किसी प्राकृतिक दुर्घटना या अनुकूल मौसम के चलते इस रेखा को पार किया है। लेकिन आज भी वॉलेस लाइन जैव भूगोल की दुनिया में एक ऐसी अदृश्य दीवार बनी हुई है, जो अलग-अलग जैव क्षेत्रों की पहचान करती है।
विज्ञान बनाम रहस्य
कई लोग सोचते हैं कि यह कोई रहस्यमयी रेखा है, लेकिन इसका कारण पूरी तरह से वैज्ञानिक है। यह रेखा यह दर्शाती है कि पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें और समुद्री गहराइयां कैसे करोड़ों वर्षों से जीव-जंतुओं की आवाजाही को प्रभावित करती रही हैं।