SCO Summit क्या है? कौन- कौन से देश से हैं इसके सदस्य, जानें इस सम्मेलन को आयोजित करने के पीछे क्या है मकसद
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 01:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation - SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। SCO Summit का मतलब इस संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों की सालाना बैठक से है। इस समिट के मेंबर देश आपस में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास, सहयोग और अच्छे संबंध स्थापित करना है।
यह क्यों आयोजित किया जाता है SCO?
एससीओ समिट का आयोजन कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है:
- सुरक्षा और स्थिरता: यह संगठन मध्य एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने पर जोर देता है। आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ (आतंकवाद के तीन बुराइयां) से मिलकर लड़ना इसका एक प्रमुख मकसद है।
- आर्थिक सहयोग: SCO Summit के दौरान सदस्य देश व्यापार, निवेश, ऊर्जा और परिवहन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर बात करते हैं। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- आपसी संबंध: यह शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के नेताओं को एक मंच पर लाता है, जिससे वे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर सकें और आपसी समझ को मजबूत कर सकें।
- सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान: एससीओ सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को भी बढ़ावा देता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझ सकें।
कौन-कौन से देश इसका हिस्सा हैं?
एससीओ में कुल नौ पूर्ण सदस्य देश हैं। ये देश हैं:
- भारत
- चीन
- रूस
- पाकिस्तान
- कजाकिस्तान
- किर्गिस्तान
- ताजिकिस्तान
- उज्बेकिस्तान
- ईरान (ईरान 2023 में पूर्ण सदस्य बना)
इन पूर्ण सदस्यों के अलावा कुछ Observer States और Dialogue Partners भी हैं जो इस संगठन से जुड़े हुए हैं।
SCO शिखर सम्मेलन में ये वजह बनी चर्चा का विषय-
1. मोदी-पुतिन की मुलाकात और शहबाज शरीफ का अलग-थलग पड़ना
SCO समिट में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना एक वायरल वीडियो। इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आपस में बात करते हुए देखे गए, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ उनसे कुछ दूरी पर अकेले खड़े थे। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो काफी तेजी से वायरल हुआ है। वीडियो वायरल होने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की स्थिति से जोड़कर देखा गया। इस घटना ने दिखाया कि किस तरह भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हैं, जबकि पाकिस्तान को बड़े वैश्विक नेताओं से अलग-थलग देखा गया।
2. चीन का बढ़ता प्रभाव और आर्थिक एजेंडा
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने समिट में SCO की बढ़ती आर्थिक भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सदस्य देशों की सामूहिक अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच चुकी है। जिनपिंग ने व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव रखे, जिनमें जल्द से जल्द एक SCO डेवलपमेंट बैंक की स्थापना का आह्वान भी शामिल था। चीन ने यह भी घोषणा की कि वह सदस्य देशों में 100 छोटे प्रोजेक्ट लागू करेगा। इन घोषणाओं को चीन के बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है।
3. ईरान का पूर्ण सदस्यता हासिल करना
इस साल के शिखर सम्मेलन में ईरान को SCO के नौवें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया, जिसने संगठन के विस्तार को रेखांकित किया। ईरान की एंट्री से मध्य एशिया में संगठन की भौगोलिक पहुंच बढ़ी है और यह भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। ईरान का शामिल होना पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, के लिए एक चुनौती भी माना जा रहा है।
4. सुरक्षा और आतंकवाद पर चर्चा
SCO का एक मुख्य उद्देश्य आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है। समिट में सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ जैसे मुद्दों पर चर्चा की। अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विशेष ध्यान दिया गया, क्योंकि यह क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।