भारत की पूर्व राजदूतों सहित 300 से ज्यादा जजों व नौकरशाहों ने BBC खिलाफ खोला मोर्चा, जानें क्या है विवाद ?

punjabkesari.in Sunday, Jan 22, 2023 - 02:15 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः बीबीसी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी  डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत से लेकर ब्रिटेन तक विरोध और विवाद चरम पर पहुंच गया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने  इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और ब्रिटेन में इस डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा संसद में भी उठा है। गुरुवार को पाकिस्तानी मूल के सांसद द्वारा यहां मुद्दा उठाए जाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने का करारा जवाब दिया है।  आखिर इस डॉक्यूमेंट्री में क्या है, जिस पर विवाद हो रहा है?  

 

डॉक्यूमेंट्री देशभक्त के खिलाफ प्रेरित आरोप पत्र 
प्रधानमंत्री  मोदी पर बनी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री की पूर्व भारतीय राजदूतों, न्यायाधीशों और नौकरशाहों और पूर्व सैनिकों के एक समूह ने कड़ी आलोचना की। उन्होंने डॉक्यूमेंट्री को एक देशभक्त के खिलाफ प्रेरित आरोप पत्र करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत में पिछले ब्रिटिश साम्राज्यवाद का मूलरूप है जो खुद को हिंदू-मुस्लिम तनाव को पुनर्जीवित करने के लिए न्यायाधीश और जूरी दोनों के रूप में स्थापित करता है। यह ब्रिटिश राज की 'फूट डालो और राज करो' की नीति की उपज है। 
 

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BBC ने सुप्रीम कोर्ट को नजरअंदाज किया : पूर्व राजदूत वीना सीकरी 
बांग्लादेश में भारत की पूर्व राजदूत वीना सीकरी ने कहा, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में कोई तथ्यात्मक रिपोर्टिंग नहीं है। उन्होंने भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की पूरी तरह से अनदेखी की है। सुप्रीम कोर्ट के 452 पन्नों के फैसले ने पीएम मोदी को पूरी तरह से दोषमुक्त किया है और बताया है कि घटनाएं कैसे हुईं। उन्होंने कहा, बिना तथ्यों की पड़ताल किए पीएम मोदी पर दोष मढ़कर बीबीसी ने अपनी विश्वसनीयता को पूरी तरह से खो दिया है। मुझे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के खिलाफ एक मजबूत घरेलू एंगल पर भी संदेह है। वे भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने और भारत के आंतरिक संबंधों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं और भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों को खराब कर रहे हैं। 

 

डॉक्यूमेंट्री भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप : पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी, 
नीदरलैंड में भारत की पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी ने कहा, बीबीसी का भारत के साथ व्यवहार करने का एक खराब रिकॉर्ड है। ऐसा लगता है कि भारत के संबंध में उसकी औपनिवेशिक मानसिकता हैं। उन्होंने कहा कि ये भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के साथ ही भारत-यूके द्विपक्षीय संबंधों को नष्ट करने का प्रयास है।

 

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BBC सीरीज भ्रमपूर्ण और एकतरफा रिपोर्टिंग पर आधारित
13 पूर्व न्यायाधीशों, राजनयिकों सहित 133 पूर्व नौकरशाहों और 156 पूर्व सैनिकों के हस्ताक्षर वाला एक बयान जारी किया गया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अनिल देव सिंह, पूर्व गृह सचिव एल. सी. गोयल, पूर्व विदेश सचिव शशांक, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी और एनआईए के पूर्व निदेश योगेश चंद्र मोदी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि यह डॉक्यूमेंट्री एक तटस्थ आलोचना या रचनात्मक स्वतंत्रता या सत्ता विरोधी दृष्टिकोण का उपयोग करने के बारे में नहीं है। उन्होंने कहा, बीसीसी सीरीज न केवल भ्रमपूर्ण और स्पष्ट रूप से एकतरफा रिपोर्टिंग पर आधारित है, बल्कि यह एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व की 75 साल पुरानी इमारत के आधार पर सवाल उठाती है।  
 

2024 से पहले PM मोदी के खिलाफ साजिश: रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने कहा, पश्चिमी दुनिया मोदी में दोष निकालना चाहती है और दुर्भाग्य से वह इसमें जितना ज्यादा शामिल होंगे, भारतीय लोगों का मोदी पर भरोसा उतना ही अधिक होगा, जो कि भारत की प्रगति के लिए नितांत आवश्यक हैं। सहगल ने कहा, 2024 के चुनाव से पहले मोदी को गिराने की बीबीसी की चाल है। वे मोदी को निशाना बनाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सीरीज के साथ आकर बीबीसी ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ब्रिटिश एक मजबूत भारत और एक मजबूत प्रधानमंत्री नहीं चाहते हैं।  


 

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डॉक्यूमेंट्री भारत के खिलाफ सुनियोजित एजेंडा : पूर्व DGMO एके चौधरी 
पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी ने कहा, डॉक्यूमेंट्री एक सुनियोजित एजेंडा है। इससे साफ पता चलता है कि उन्हें भारत पसंद नहीं है। बीबीसी तटस्थ तरीके से काम नहीं कर रहा है। वे यह पचा नहीं पा रहे हैं कि भारत तेजी से विकास कर रहा है और लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। भारत में मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। 

 

BBC डॉक्यूमेंट्री तथ्यात्मक त्रुटियों से भरी : पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी  
पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी ने कहा, बीबीसी जो भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तथाकथित तनाव की जांच करने का दावा करता है और उस संदर्भ में फिर से पीएम मोदी की तथाकथित विवादास्पद नीतियों के बारे में बात करता है, न केवल पक्षपाती है, बल्कि यह पक्षपातपूर्ण और तथ्यात्मक त्रुटियों से भरा है। उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि भारत सरकार की सभी नीतियां सभी भारतीयों पर केंद्रित हैं, भले ही उनका धर्म, जातीयता कुछ भी हो। हर भारतीय नागरिक के साथ पीएम मोदी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।  

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डॉक्यूमेंट्री में क्या है और  विवाद की वजह ? 
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने India: The Modi Question शीर्षक से दो पार्ट में बनाई नई सीरीज  का पहला पार्ट मगंलवार को जारी किया गया।  सीरीज में पीएम मोदी के शुरुआती दौर के राजनीतिक सफर पर बातें की गईं हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ उनके जुड़ाव, भाजपा में बढ़ते कद और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति की चर्चा भी इसमें की गई है। मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में हुए दंगों का भी इसमें जिक्र है। इस हिस्से में गुजरात दंगों में पीएम मोदी की कथित भूमिका की बात कही गई है। इसी को लेकर विवाद हो रहा है। 17 जनवरी को  सीरीज के आते ही विवाद शुरू हो गया। ब्रिटेन में सोशल मीडिया पर इसका विरोध शुरू हुआ। इसको लेकर लोगों ने आपत्ति जताई और कहा कि बीबीसी को 1943 के बंगाल अकाल पर भी सीरीज बनानी चाहिए  जिसमें 30 लाख से ज्यादा लोगों की भुखमरी और बीमारी के कारण मौत हो गई थी। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि बीबीसी को यूकेः द चर्चिल क्वेश्चन शीर्षक से भी सीरीज बनानी चाहिए। विवाद बढ़ता देख एक दिन बाद ही बुधवार को बीबीसी ने सीरीज को यूट्यूब से हटा दिया। गुरुवार को यह मामला ब्रिटेन की संसद में पहुंच गया।  
 


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Content Writer

Tanuja

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