''नई सरकार की मर्जी से....'', कच्चातिवु को भारत को लौटाने के सवाल पर क्या बोले श्रीलंकाई मंत्री

punjabkesari.in Tuesday, Apr 02, 2024 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कच्चातिवु द्वीप को 1974 में श्रीलंका को सौंपने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद मंगलवार को यहां एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने इस द्वीप के मुद्दे पर अब तक चर्चा नहीं की है क्योंकि इसे कभी उठाया नहीं गया। कैबिनेट प्रवक्ता और सूचना मंत्री बांदुला गुणावर्द्धने ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कैबिनेट ने इस पर चर्चा नहीं की क्योंकि यह कभी उठाया ही नहीं गया।'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को एक खबर के हवाले से कहा था कि नई बात सामने आई है कि कांग्रेस पार्टी ने कच्चातिवु द्वीप ‘‘संवेदनहीन'' ढंग से श्रीलंका को दे दिया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) पर हमला बोला था। उन्होंने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखायी और भारतीय मछुआरों के अधिकार छीन लिए। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि अच्छे संबंध कायम रखने और लाखों तमिलों की जान बचाने के लिए कच्चातिवु श्रीलंका को दिया गया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने आश्चर्य प्रकट किया कि प्रधानमंत्री ऐसे मुद्दे को अब क्यों उठा रहे हैं जिसे 1974 में सुलझा लिया गया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीजेपी नेता के दावे पर क्या कहा?
प्रधानमंत्री के कांग्रेस पर हमले के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की पिछली सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने साल 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया और इस बात को छिपाकर रखा। जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस ने इस द्वीप को तुच्छ करार देते हुए इसके प्रति उदासीनता दिखाई। हालांकि, वो बीजेपी नेता अन्नामलाई के उस दावे पर साफ-साफ कुछ भी कहने से बचते दिखे जिसमें वो कह रहे थे कि सरकार द्वीप को वापस लेने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। विदेश मंत्री जयशंकर ने बस इतना कहा कि 'मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन' है।

'सीमा नई सरकार की मर्जी से नहीं बदल सकती', श्रीलंकाई मंत्री
एक अन्य श्रीलंकाई मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देश की सीमा नई सरकार की मर्जी से नहीं बदल सकती। उन्होंने कहा, 'चाहे ये सही हो या गलत, कच्चातिवु पहले श्रीलंका की सीमा में आ चुका है। एक बार जब सीमा तय हो जाती है तब नई सरकार आकर इसमें बदलाव की मांग नहीं कर सकती है। लेकिन श्रीलंका की कैबिनेट में कच्चातिवु को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। इस संबंध में भारत की तरफ से कोई बातचीत नहीं हुई है।'

श्रीलंकाई मंत्री ने आगे कहा, 'अगर कच्चातिवु का मामला तमिल समुदाय के बारे में है तो तमिल सीमा के दोनों तरफ रहते हैं। अगर यह तमिल मछुआरों का मुद्दा है तो दोनों को जोड़कर देखना अनुचित और गलत है क्योंकि भारतीय मछुआरों का मुद्दा महज जाल का मुद्दा है जिसे वो भारतीय समुद्री सीमा के बाहर इस्तेमाल करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के हिसाब से गैर कानूनी है।'

श्रीलंकाई मंत्री कहते हैं, 'जब पूरे समुद्री क्षेत्र में समुद्री संसाधनों का दोहन किया जा रहा है तो भारतीय तमिल मछुआरों के इन जाल का शिकार मुस्लिम या सिंहली मछुआरे नहीं बल्कि श्रीलंकाई तमिल मछुआरे ही हैं।' भारत और श्रीलंका के बीच उच्च स्तर की आखिरी वार्ता 28 मार्च को नई दिल्ली में कच्चातिवु का मुद्दा उठने के ठीक तीन दिन पहले हुई थी।

बीजेपी नेता ने कच्चातिवु को लेकर दायर की थी RTI
दरअसल, बीजेपी नेता अन्नामलाई ने एक आरटीआई दायर की थी जिसके जवाब में यह बात सामने आई कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने श्रीलंकाई सरकार के साथ एक समझौता कर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। बीते रविवार को इसे लेकर एक रिपोर्ट सामने आई जिसे लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा। 

कांग्रेस ने बीजेपी के इन आरोपों को खारिज कर दिया है। राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि पीएम मोदी को 27 जनवरी 2015 के उस आरटीआई जवाब का भी जिक्र करना चाहिए जब विदेश मंत्री एस जयशंकर विदेश सचिव थे। उस दौरान यह स्पष्ट कहा गया था कि समझौते के बाद कच्चातिवु द्वीप अंतरराष्ट्रीय सीमा के श्रीलंकाई हिस्से में है।

वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि समझौते के तहत श्रीलंका से 6 लाख तमिल भारतीयों को वापस लाया जा सका था। तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच स्थित कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के रामेश्वरम से 25 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इंदिरा गांधी की सरकार में 1974 में हुए एक समझौते के तहत यह श्रीलंका को मिल गया था और इसी से दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा तय हुई थी


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Content Writer

Yaspal

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