सामने आई ममता की जीत की बड़ी सियासी सच्चाई!
punjabkesari.in Friday, May 20, 2016 - 12:42 PM (IST)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार-प्रसार के बदले तौर-तरीकों ने ममता बनर्जी को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। कहा जा सकता है कि ऑप्रेशन बरगादर मनरेगा और यू.आई.डी.ए.आई. का अग्रदूत था। लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से संचालित एक लोक कल्याणकारीउच्च स्तरीय सबसिडी कार्यक्रम था। राज्य के आर्थिक क्रिया-कलापों और मजदूरों के प्रति एक बड़ा योगदान देने में कृषि और ग्रामीण इलाके करीब 20 फीसदी का योगदान देते हैं।
फेसबुक और ट्विटर का सहारा
इसी प्रमाणित मॉडल का इस्तेमाल तृणमूल कांग्रेस ने अपने कड़े समर्थकों और विधानसभा क्षेत्रों को विश्वस्त करने और भरोसा जीतने में किया। साथ ही 2 रुपए किलो चावल, कन्याश्री कार्यक्रम के तहत छात्राओं को साइकिल और छात्रवृत्ति, मनरेगा योजना के लागू करने का अच्छा रिकॉर्ड सहित कई ऐसी बातें रहीं जिसने तृणमूल कांग्रेस को अपना वोट बैंक बढ़ाने में बहुत ही ज्यादा मदद की। फेसबुक और ट्विटर के जरिए ममता बनर्जी की लोगों तक डिजीटल पहुंच बहुत ही शानदार और प्रशंसनीय है। टी.एम.सी. ने बहुत जल्दी यह भांप लिया और आधुनिक इंटरनैट संचार तकनीक का इस्तेमाल लोगों से जुड़ाव, जमीनी स्तर पर लामबंदी के लिए किया। साथ ही इस तकनीक का इस्तेमाल कुछ बड़ी घटनाओं मसलन कोलकाता फ्लाईओवर ढहने या सटिंग ऑप्रेशन से हुए नकारात्मक प्रचार-प्रसार की काट के लिए किया गया।
200 से भी ज्यादा रैलियों में लिया हिस्सा
200 से भी ज्यादा रैलियों में लिया हिस्सा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 40 दिन के भीतर इस कड़ी गर्मी में जमीनी स्तर पर युद्ध स्तरीय प्रचार अभियान चलाया। इसके तहत ममता ने पब्लिक रैली, पैदल यात्राएं और 200 से भी ज्यादा रैलियों में हिस्सा लिया। बता दें कि सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में टी.एम.सी. का यह अंदाज साल 2011 के तौर-तरीकों से पूरी तरह से अलग था, क्योंकि पिछला विधानसभा चुनाव जमीन अधिकार अभियान और पारम्परिक तरीकों मसलन चुनाव आंदोलन और गठबंधन तैयार करने पर लड़ा गया। पश्चिम बंगाल में 65 मिलियन वोटर हैं और इनमें से 21 मिलियन इंटरनैट से जुड़े हैं। बहुत ही जल्द ममता बनर्जी युवाओं को जोडऩे के लिहाज से इंटरनैट प्लेटफॉर्म और डिजीटल तकनीक के महत्व को समझ गईं।
अपनी जुझारू क्षमता का इस्तेमाल किया
अपनी जुझारू क्षमता और बतौर बेहतरीन सामाजिक संगठक ममता ने ऑनलाइन और ऑफ लाइन सीरीज कार्यक्रमों के तहत 45 दिन चलने वाले व्यापक प्रचार अभियान के लिए इन प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल किया। ममता भी अब उन विशाल और बड़े जनाधार वाले नेताओं, मसलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरवाल के ग्रुप में शामिल हो गई हैं जिन्होंने अपने वोटरों तक पहुंचने के लिए डिजीटल तकनीक को एक अनिवार्य हथियार के रूप में पहचाना। साथ ही उन्होंने बहुत ही तेजी से इसका इस्तेमाल भी किया।