500 Rupee Notes: फिर से होगी नोटबंदी! 500 रुपये के नोट बैन करने की मांग ने बढ़ाई हलचल, सामने आई बड़ी खबर
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 03:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 2016 की नोटबंदी को इतिहास में एक अहम मोड़ माना जाता है। अब एक बार फिर से 500 रुपये के नोटों को बंद करने की आवाज़ तेज हो गई है। इस मांग ने न सिर्फ राजनीतिक महौल को गरमाया है, बल्कि आर्थिक में भी हलचल मचा दी है। जानिए क्यों उठ रही है फिर से नोटबंदी की बात और इससे क्या-क्या हो सकते हैं असर।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर देश में वित्तीय पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की दिशा में एक साहसिक सुझाव रखा है। उन्होंने 500 और उससे अधिक मूल्य के नोटों को चलन से बाहर करने की अपील की है। उनका मानना है कि उच्च मूल्य के नोटों को हटाकर देश को पूरी तरह डिजिटल लेनदेन की ओर ले जाया जा सकता है, जिससे न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था भी अधिक पारदर्शी बनेगी।
‘महनाडु’ मंच से डिजिटल क्रांति की मांग
तेलुगु देशम पार्टी के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन 'महनाडु सभा' में बोलते हुए नायडू ने न केवल 500 और 2000 रुपये के नोटों को बंद करने की बात कही, बल्कि डिजिटल भुगतान को अपनाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि देश को नकदी पर निर्भरता से बाहर लाने का समय आ गया है।
पीएम को पहले ही दी थी डिजिटल करेंसी रिपोर्ट
नायडू ने बताया कि उन्होंने पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिजिटल करेंसी पर रिपोर्ट सौंपी थी और सुझाव दिया था कि यदि जरूरत हो तो 500, 1000 और 2000 रुपये के नोटों की छपाई पूरी तरह रोक दी जाए। इससे न केवल काले धन पर नियंत्रण होगा, बल्कि हर लेन-देन को ट्रैक करना आसान हो जाएगा।
QR कोड से दान का उदाहरण
नायडू ने एक रोचक उदाहरण देते हुए बताया कि अब पार्टी को मिलने वाले दान के लिए QR कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले दान देना एक लंबी प्रक्रिया होती थी, लेकिन अब एक स्कैन से पैसा ट्रांसफर हो रहा है। ऐसे में भारी मूल्य वाले नोटों की प्रासंगिकता खत्म हो चुकी है।
जनता से भी मांगा समर्थन
सम्मेलन में नायडू ने अपने इस प्रस्ताव के समर्थन में उपस्थित कार्यकर्ताओं और समर्थकों से हाथ उठाकर और तालियां बजाकर समर्थन जताने को कहा। उनका कहना था कि जनता के सहयोग से ही इस तरह का बदलाव संभव है।
ATM से निकासी के लिए नया नियम
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी नकदी व्यवस्था को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है। अब सभी बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके एटीएम में 100 और 200 रुपये के नोट उपलब्ध हों। इसके लिए समयसीमा भी तय की गई है —
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30 सितंबर 2025 तक 75% एटीएम में कम से कम एक कैसेट 100 या 200 रुपये के नोट से भरा होना चाहिए।
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31 मार्च 2026 तक यह आंकड़ा 90% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
RBI का यह कदम भी छोटे मूल्य की करेंसी को बढ़ावा देने और आम नागरिकों की सुविधा के लिए उठाया गया है।
वहीं बता दें कि साल 2016 में भारत ने आर्थिक इतिहास का एक बड़ा और चौंकाने वाला कदम उठाया-नोटबंदी। केंद्र सरकार ने अचानक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अवैध घोषित कर दिया। इसका उद्देश्य था काले धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना। इसके बाद मई 2023 में 2000 रुपये के नोटों को भी धीरे-धीरे चलन से बाहर कर दिया गया।
इस कदम को "भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार" बताया गया और इसे देश की मुद्रा प्रणाली के सबसे बड़े प्रयोगों में से एक माना गया। हालांकि, इस फैसले के आर्थिक असर को लेकर विशेषज्ञों की राय आज भी बंटी हुई है। कुछ इसे साहसिक सुधार कहते हैं, तो कई इसे आर्थिक गतिविधियों में रुकावट और आम आदमी के लिए परेशानी भरा कदम मानते हैं।
नकली नोटों का खतरा अब भी बरकरार
नोटबंदी का एक प्रमुख उद्देश्य नकली नोटों को खत्म करना भी था, लेकिन आरबीआई के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि खासकर 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि हुई है। यह चिंता की बात है कि जिस खतरे को रोकने के लिए नोटबंदी जैसा कठोर कदम उठाया गया था, वह अब भी देश की वित्तीय सुरक्षा के लिए चुनौती बना हुआ है।