राज्यपाल पुलिस बनाम: क्या कहता है कानून

punjabkesari.in Monday, Feb 04, 2019 - 12:10 PM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): सारधा चिटफंट घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल के डीजीपी से पूछताछ करने रविवार को कोलकाता पहुंची सीबीआई की टीम के 5 अफसरों को राज्य पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके बाद सियासी पारा चढ़ गया है। अब सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस शुरू हो चुकी है। संविधान के मुताबिक कानून और व्यवस्था राज्य सूची में आता है। इसलिए विधि-व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है और किसी अपराध की जांच करने का अधिकार राज्य के पास है। संविधान में व्यवस्था है कि संघ सूची में आने वाले मामलों के विषय में सीबीआई जांच कर सकती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायायलय सीबीआई को किसी भी राज्य में जांच या छापेमारी के लिए आदेश दे सकती है।

एक्ट के तहत तय होता सीबीआई के कामकाज 
सीबीआई के कामकाज का तरीका दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत तय होता है। अधिनियम की धारा 5 के तहत केंद्र सरकार निर्दिष्ट अपराधों की जांच के लिए राज्यों तक अपनी शक्तियां और अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है। हालांकि यह शक्ति धारा 6 द्वारा प्रतिबंधित है। धारा 6 के अनुसार सीबीआई दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर किसी राज्य में उसकी अनुमति बिना केसों की छानबीन नहीं कर सकती है। हालांकि, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालयों को अधिकार है कि वह किसी भी केस की जांच किसी भी राज्य में करने का सीबीआई को आदेश दे सकते हैं। अगर कोई राज्य अनुमति नहीं देता और जांच और छापेमारी जरूरी है तो वह उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट से अनुमति देने के लिए कह सकती है।

इन मामलों में राज्य की अनुमति जरूरी नहीं
1.केंद्र के कर्मियों या केंद्र के मामलों व केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी बैंकों के कर्मियों के खिलाफ अपराध के मामलों में
2. केंद्र सरकार के वित्तीय हितों से जुड़े मामले
3. भारत सरकार द्वारा लागू केद्रीय कानूनों के उल्लंघन के मामले
4. बड़े पैमाने धोखाधड़ी या गबन या कई राज्यों में फैले संगठित अपराध के मामले और बहु-एजेंसी या अंतरराष्ट्रीय मामले

सुप्रीम और हाईकोर्ट सीधे दे सकते हैं आदेश
17 फरवरी 2010 को उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला दिया था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों को अधिकार है कि किसी राज्य की अनुमति के बगैर भी किसी राज्य में घटित आपराधिक मामले की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दे सकते हैं। पीठ का तर्क था कि नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता के रक्षक होने के नाते सामान्य रूप से संविधान के भाग-3 और विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास न केवल अधिकार क्षेत्र है, बल्कि मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व भी है। 

कौन हैं राजीव कुमार: 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ममता बनर्जी के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने पहले विधाननगर के पुलिस आयुक्त, सीआईडी और एसआईटी प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं। 2013 में सारधा और रोज वैली घोटाला सामने आने पर बनर्जी ने एसआईटी जांच का आदेश दिया और एसआईटी प्रमुख के रूप में कुमार ने जांच का जिम्मा संभाला। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। 

सारधा घोटाला: सारधा ग्रुप से जुड़ा चिटफंड घोटाला 2460 करोड़ का है। पुलिस और ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि 80 प्रतिशत जमाकर्ताओं का भुगतान बाकी है। सारधा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। बंगाल के साथ असम, त्रिपुरा ओडिशा, झारखंड में भी स्कीम का जाल फैला था।

रोज वैली घोटाला: 60 हजार करोड़ का यह घोटाला देश के सबसे बड़े पोंजी घोटालों में से एक है। इसकी शुरुआत 1990 में हुई थी। रोज वैली रियल एस्टेट्स एंड कंसट्रक्शन्स व रोज वैली होटल्स एंड इंटरटेनमेंट से जुड़ी कंपनियों ने लोगों को हॉलिडे पैकेज या सालाना ब्याज के साथ रिटर्न का वादा कर पैसा लिया था। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News