वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 05:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर मुस्लिम समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। इस अधिनियम को लेकर विभिन्न मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह अधिनियम मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करता है।
मुख्य आपत्तियां:
➤ वक्फ-ऑन-यूज़र की अवधारणा का उन्मूलन: इस संशोधन से वक्फ-ऑन-यूज़र की प्रथा समाप्त हो गई है, जो ऐतिहासिक रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा अपनाई जाती रही है। इससे उन वक्फ संपत्तियों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है जो मौखिक रूप से स्थापित की गई थीं।
➤ पाँच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने की शर्त: वह व्यक्ति जो वक्फ संपत्ति स्थापित करना चाहता है, उसे कम से कम पाँच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गई है। यह शर्त शरिया कानून और संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन करती है।
➤ गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति: संशोधन में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति की अनुमति दी गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की स्थिति:
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब देने के लिए सात दिनों का समय दिया है और याचिकाकर्ताओं को पांच दिनों के भीतर उत्तर दाखिल करने की अनुमति दी है। अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई है। इससे पहले, कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों की पहचान और प्रबंधन में हस्तक्षेप करने वाली कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई थी। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर मुस्लिम समुदाय की आपत्तियां गंभीर हैं। वे इसे संविधान और शरिया कानून के खिलाफ मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई में इन आपत्तियों पर विचार किया जाएगा, जो मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगी।