बेंगलुरु में गूंजा कर्नाटक का गौरव, ''स्वाभिमान हब्बा 2025'' में उमड़ा जनसैलाब, परेड में दिखी सांस्कृतिक एकता

punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 11:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कर्नाटक स्वाभिमान हब्बा 2025 एक ऐसा आयोजन है जो राज्य के गौरव, संस्कृति, परंपरा और लोगों की आत्मपहचान को उत्सव के रूप में मनाता है। इस साल बेंगलुरु में आयोजित यह उत्सव कई रंगों और भावनाओं को साथ लेकर आया। इसमें हर उम्र और समुदाय के लोग शामिल हुए और 'गौरव परेड' के जरिए कर्नाटक की विविधता और एकता का अद्भुत प्रदर्शन किया गया।

गौरव परेड: संस्कृति का भव्य प्रदर्शन

परेड में पारंपरिक ड्रेस, वाद्य यंत्र, लोकनृत्य और राज्य की प्रसिद्ध कलाएं देखने को मिलीं। विशेष रूप से दोलु कुनिता, यक्षगान, कंबाला और काव्यवाचन जैसे कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

  • स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने पारंपरिक पोशाक में राज्य के इतिहास को दर्शाने वाली झांकियां प्रस्तुत कीं।

  • महिला समूहों ने कर्नाटक की लोक-संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया।

  • परेड में शामिल बुजुर्गों और बच्चों की भागीदारी ने कार्यक्रम को परिवारिक और जनभागीदारी से भरपूर बना दिया।

आयोजन का उद्देश्य क्या था?

'स्वाभिमान हब्बा' का उद्देश्य सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाने का एक माध्यम है। इसका मकसद है:

  • लोगों में राज्य के इतिहास और परंपरा के प्रति गर्व का भाव पैदा करना

  • युवाओं को स्थानीय कला, भाषा और विरासत से जोड़ना

  • कर्नाटक की विविधता को एक मंच पर लाना

एकता और सामूहिक गर्व का प्रतीक

गौरव परेड सिर्फ एक शो नहीं थी, यह समाज के हर वर्ग की सहभागिता का उदाहरण बनी। इसमें ग्रामीण और शहरी, सभी वर्गों के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आयोजकों ने बताया कि ये परेड समाज में सांस्कृतिक जागरूकता और भाषाई गर्व को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जाती है। बेंगलुरु की सड़कों पर युवा पीढ़ी का जोश देखने लायक था। पारंपरिक परिधान पहने छात्रों ने "जय कर्नाटका" के नारे लगाए और राज्य ध्वज लहराया। इस मौके पर कई स्कूलों ने कला प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन और वक्तृत्व प्रतियोगिता का आयोजन किया ताकि बच्चे भी राज्य की परंपरा को करीब से समझ सकें। परेड के साथ-साथ कर्नाटक के पारंपरिक व्यंजन और संगीत प्रस्तुतियां भी आकर्षण का केंद्र बनीं। लोगों ने बिसिबेले भात, रागी मड्डे, मैसूर पाक जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया। वहीं बांसुरी, नादस्वरम और तबले की थाप पर संगीतप्रेमी झूम उठे।

लोगों की प्रतिक्रिया

प्रतिभागी और दर्शक दोनों ही इस आयोजन से बेहद प्रभावित नजर आए। एक बुजुर्ग महिला ने कहा, "ऐसे आयोजन हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। हम गर्व से कह सकते हैं कि हम कर्नाटका से हैं।" वहीं एक कॉलेज छात्रा ने कहा, "ये परेड हमारी संस्कृति को देखने और समझने का बेहतरीन मौका है।"

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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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