20 दिनों में 3 बार तनाव: सहारनपुर की आग न जला दे योगी का किला!

punjabkesari.in Friday, May 12, 2017 - 10:50 AM (IST)

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली भारी जीत कई लोगों के गले नहीं उतरी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पकड़ वाली सीटों पर भी भाजपा के जीतने पर हार का ठीकरा ई.वी.एम. के सिर फोड़ दिया। धीरे-धीरे बसपा की हार का असर जमीन पर दिखने लगा है। 20 दिन में सहारनपुर में 3 बार उपजा तनाव इसी की बानगी है। योगी सरकार के लिए यह मामला बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। 20 अप्रैल को दूधली गांव में भीमराव अम्बेदकर के लिए भाजपा कार्यकत्र्ताओं द्वारा बिना अनुमति एक जलूस निकाला गया था, उसको लेकर भाजपा कार्यकत्र्ताओं और वहां के मुसलमानों के बीच हुए पथराव से शुरू ङ्क्षहसा का सिलसिला अभी तक थमा नहीं है।

ताजा घटना में 9 मई को सहारनपुर के ही शब्बीरपुर गांव में गुस्साए दलितों की ‘भीम सेना’ ने पुलिस के विरोध में ङ्क्षहसक प्रदर्शन किया। मालूम हो कि 5 मई को महाराणा प्रताप के लिए बिना अनुमति निकाले गए जलूस के चलते ठाकुरों और दलितों के बीच ङ्क्षहसा हो गई थी जिसमें एक ठाकुर की मौत हो गई थी और 50 दलितों के घर जला दिए गए थे। मंगलवार को प्रदर्शनकारी उसी के लिए मुआवजे और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। इस आग में डी.जी.पी. सुलखान सिंह के सहारनपुर दौरे ने घी का काम किया। उन्होंने न ही शब्बीरपुर का दौरा किया और न ही दलितों के लिए किसी मुआवजे की घोषणा की। इस पूरे घटनाक्रम केबीच पुलिस के ढीले रवैये के चलते एस.पी. (सिटी) और एस.पी. (रूरल) को हटा दिया गया है। 

एस.एस.पी. सुभाष दुबे का दावा है कि मंगलवार की घटना को और बड़ा होने से रोक लिया गया। उन्होंने बताया कि ‘भीम सेना’ ने फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए समर्थकों को सहारनपुर बुलाया था लेकिन उन्हें पहले ही रोक लिया गया। राज्य के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों की अपेक्षा इस बार बसपा को सहारनपुर में एक भी सीट नहीं मिली। इसके कारण क्षेत्र के दलितों और मुसलमानों में असुरक्षा की भावना है। कांग्रेस, बसपा और सपा को नगरपालिका चुनावों से पहले सरकार पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है। सरकार ने मौके की नजाकत को देखते हुए वरिष्ठ मंत्री सूर्य प्रताप शाही को सहारनपुर का भार सौंप दिया है।


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