अमेरिका का डर्टी गेमः पाकिस्तान से दोस्ती और बांग्लादेश को बना रहा मोहरा, भारत की बढ़ सकती टेंशन

punjabkesari.in Wednesday, Dec 20, 2023 - 06:35 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः भारत में साल 2024 में होने वाले आम चुनाव  से पहले  दो  पड़ोसी  देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी चुनाव होने वाले हैं। इस बीच अमेरिका  भारत और बांगलादेश के साथ डर्टी गेम खेल रहा है।  अमेरिका जहां पाकिस्तान में  सेना को मौन समर्थन दे रहा है  वहीं बांग्लादेश में लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है। अमेरिका का दोहरा चरित्र  भारत के लिए टेंशन खड़ी कर सकता है। दरअसल  इस समय  पाकिस्तान के आर्मी चीफ  जनरल असीम मुनीर अमेरिका में हैं। असीम मुनीर की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब एक सप्ताह पहले खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की चौकी पर TTP आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 23 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।

 

इस दौरान उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। माना जा रहा है कि जनरल मुनीर ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर आए भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ-साथ अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की। ब्लिंकन ने  डेरा इस्माइल खान  हमले की आलोचना की और एक्स पर पाकिस्तान का समर्थन किया। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान को आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का ऋण भी मिला है। इसके अलावा FATF की ग्रे लिस्ट से भी पाकिस्तान निकल आया, जो दिखाता है कि अमेरिका ने मौन समर्थन दिया था। पाकिस्तान में अगले साल चुनाव होने वाले हैं औप  आर्मी जिसे चाहेगी, वही सत्ता में आएगा।  पूर्व पीएम नवाज शरीफ पाकिस्तान लौट आए हैं और चुनाव से पहले उन्हें एक के बाद एक क्लीन चिट मिल रही है, जो उनके एकबार फिर पीएम बनने का रास्ता साफ कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान में जहां अमेरिका सेना के शासन से खुश है वहीं भारत के दूसरे पड़ोसी बांग्लादेश में लोकतंत्र की बात कर रहा है।

 

अमेरिका लगातार बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को पूरी ताकत के साथ निशाना बना रहा है। पाकिस्तान आर्मी के विपरीत शेख हसीना ने देश में विकास भी किया बल्कि कट्टरपंथियों पर लगाम लगाकर रखी। बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले लगातार अमेरिका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात करता रहा है। ऐसा न करने पर प्रतिबंधों की धमकी दी है। अमेरिका के दोहरे रवैए को देख कर लगता है कि वह और उसके सहयोगी एक बार फिर 1971 की गलती दोहराना चाहते हैं। जिसमें वह बांग्लादेश में होने वाले नरसंहार पर पाकिस्तान के साथ थे। अमेरिका लगातार शेख हसीना से विपक्षी दल बीएनपी को जगह देने को कह रहा है। इससे अमेरिका बांग्लादेश में एक ऐसे शासन का समर्थन कर सकता है, जो मानवाधिकारों के मुद्दों पर बदतर होगा। साथ ही चीन के साथ खड़ा होगा जो भारत के लिए चिंता वाली बात होगी। बांग्लादेश में अमेरिका का हस्तक्षेप बीएनपी और उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के कट्टरपंथियों के उदय का कारण हो सकता है। साथ ही उसे चीन के करीब भी धकेल सकता है। 


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Content Writer

Tanuja

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