लो जी ! समझ लो दुश्मन का खेलः ड्रोन हमलों की ही पाकिस्तान क्यों चल रहा चाल ?
punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 03:59 PM (IST)

International Desk: भारत पर लगातार किए जा रहे ड्रोन हमले कोई मामूली सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि दुश्मन की एक बहुस्तरीय और छल-कपट भरी रणनीति का हिस्सा हैं। पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों द्वारा जानबूझकर सस्ते लेकिन बड़ी संख्या में ड्रोन भेजना इस ओर इशारा करता है कि उनका असली मकसद सिर्फ नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक तैयारियों को तोड़ना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ड्रोन वारफेयर एक मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और सैन्य दवाब बनाने की साजिश है।
दुश्मन की रणनीति क्या है?
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली को थकाना और कमजोर करना
पाकिस्तान सस्ते ड्रोन भेजकर भारत को मजबूर कर रहा है कि वो अपने महंगे इंटरसेप्टर मिसाइलों और रडार संसाधनों को खर्च करे। इसका उद्देश्य है भारत की रक्षा क्षमता को कमज़ोर करना, ताकि आगे चलकर क्रूज़ मिसाइल या फाइटर जेट्स जैसे महंगे हथियारों से हमला किया जा सके।
खुफिया जानकारी जुटाना (Electronic Reconnaissance)
कई ड्रोन खतरनाक हथियार नहीं, बल्कि जासूसी उपकरण से लैस होते हैं। ये भारत के रडार, मिसाइल सिस्टम और उनकी लोकेशन को ट्रैक करने में जुटे रहते हैं। ऐसे में इनका गिराया जाना भी एक 'स्वीकार्य नुकसान' माना जाता है।
ध्यान भटकाने की चाल (Maskirovka)
ड्रोन का झुंड एक सेक्टर में भेजा जाता है ताकि भारत का फोकस वहीं रहे, जबकि असली हमला किसी और दिशा से किया जा सके – जैसे कि हाइपरसोनिक मिसाइल या स्टील्थ एयरक्राफ्ट द्वारा।
भारत की प्रतिक्रिया क्षमता को परखना
दुश्मन बार-बार ड्रोन भेजकर भारत की जवाबी कार्रवाई, रडार एक्टिवेशन पैटर्न और हथियारों के इस्तेमाल की रणनीति को समझने की कोशिश कर रहा है।
मनोवैज्ञानिक युद्ध और राजनीतिक दबाव
लगातार ड्रोन हमले आम नागरिकों और सुरक्षाबलों में डर और थकावट पैदा कर सकते हैं। इससे राजनीतिक दबाव भी बनता है कि भारत संसाधनों को और खर्च करे या समझौते की ओर बढ़े।
छिपी क्षमताओं को उजागर करवाना
दुश्मन चाहता है कि भारत अपने सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय करे ताकि उसकी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल पकड़ी जा सके और भविष्य के लिए डेटा जुटाया जा सके।
आर्थिक थकावट की रणनीति (War of Attrition)
$20,000 के ड्रोन पर भारत को $1 मिलियन की मिसाइल चलवाना । यही दुश्मन की चाल है, ताकि भारत की रक्षा बजट पर दबाव डाला जा सके।
भारत को क्या करना चाहिए?
- लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम विकसित करना जो सिर्फ महंगे इंटरसेप्टर पर निर्भर न हो।
- लेज़र और माइक्रोवेव जैसे Directed-Energy हथियारों को तेजी से शामिल करना।
- मोबाइल SAM सिस्टम और डमी टारगेट्स से रडार मापन से बचाव।
- मिसाइल स्टॉक का रिज़र्व बनाकर रखना। साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के ज़रिए दुश्मन के ड्रोन कंट्रोल सिस्टम को ठप करना।
- हर नागरिक को जागरूक बनाना – ये युद्ध अब सिर्फ सीमा पर नहीं, आकाश में भी लड़ा जा रहा है।
पाकिस्तान जैसे शत्रु देश द्वारा लगातार ड्रोन भेजना केवल आक्रमण नहीं, बल्कि जटिल और खतरनाक रणनीतिक चाल है। भारत को चाहिए कि वह इस चुनौती को सिर्फ जवाबी हमले से नहीं, बल्कि तकनीक, मानसिक दृढ़ता और दूरदर्शी सैन्य नीति से परास्त करे।