भारत बना आर्मेनिया का नया डिफेंस पार्टनर, 1.5 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे पर किए हस्ताक्षर
punjabkesari.in Saturday, May 17, 2025 - 08:27 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: दक्षिण काकेशस क्षेत्र में स्थित आर्मेनिया ने अपने पारंपरिक रक्षा साझेदार रूस से दूरी बनाते हुए भारत के साथ रक्षा सहयोग की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। तुर्की और अज़रबैजान जैसे पड़ोसियों से जारी तनाव और सुरक्षा चुनौतियों के बीच आर्मेनिया ने भारत के साथ 1.5 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन सौदों के तहत अत्याधुनिक रॉकेट लॉन्चर से लेकर ड्रोन रोधी प्रणाली और एयर डिफेंस सिस्टम तक भारत से व्यापक सैन्य उपकरणों की खरीद की गई है। यह रणनीतिक साझेदारी न केवल हथियारों की आपूर्ति तक सीमित है बल्कि आर्मेनिया की रक्षा नीति और विदेश संबंधों में आए बदलाव का संकेत भी देती है।
भारत से क्या-क्या खरीदा गया?
इन रक्षा सौदों में आर्मेनिया ने भारत से कई अत्याधुनिक हथियार सिस्टम मंगवाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
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पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (214 मिमी)
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एटीएजीएस तोप प्रणाली (155 मिमी)
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जेडएडीएस काउंटर-ड्रोन सिस्टम
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आकाश-1एस और अपकमिंग आकाश-एनजी एयर डिफेंस सिस्टम
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कोंकर्स एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम (रूसी लाइसेंस के तहत भारत में बना)
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मोर्टार और अन्य गोला-बारूद
भारत से इन हथियारों की खरीद यह दिखाती है कि आर्मेनिया अब भारत को एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में देख रहा है।
फ्रांस भी बना नया डिफेंस सहयोगी
भारत के अलावा फ्रांस भी आर्मेनिया के रक्षा संबंधों में तेजी से उभरा है। 2023 और 2024 के बीच फ्रांस और आर्मेनिया ने लगभग 250 मिलियन डॉलर के सौदे किए, जिनमें शामिल हैं:
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ग्राउंडमास्टर 200 रडार सिस्टम
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मिस्ट्रल 3 मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम
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सीज़र सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी यूनिट
यह भी दर्शाता है कि आर्मेनिया अब केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि अपने रक्षा साधनों को बहुआयामी बना रहा है।
रूस से दूरी क्यों बना रहा है आर्मेनिया?
साल 2011 से 2020 तक रूस आर्मेनिया का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। SIPRI के आंकड़ों के मुताबिक, उस समय के दौरान आर्मेनिया के कुल हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 94% थी। लेकिन 2024 तक यह घटकर सिर्फ 10% रह गई है। इसकी वजह है यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की हथियार आपूर्ति में आई भारी बाधा। 2021 में हुए रूस-आर्मेनिया के 400 मिलियन डॉलर के सौदे भी अब तक अधूरे हैं। यही कारण है कि अर्मेनियाई सुरक्षा परिषद के सचिव आर्मेन ग्रिगोरियन ने कहा कि देश को अब रूस से हथियार मिलना मुश्किल हो रहा है।
रूस को अब ‘दोस्त’ नहीं खतरे के रूप में देख रहा है आर्मेनिया
साल 2020 के नागोर्नो-कराबाख युद्ध और उसके बाद हुए सीमा संघर्षों में रूस की निष्क्रियता ने आर्मेनिया की जनता और सरकार को काफी निराश किया है। इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के 2023 के सर्वे के अनुसार, रूस अब खतरे के मामले में अज़रबैजान और तुर्की के बाद तीसरे स्थान पर है। एक समय रूस को "मित्र राष्ट्र" के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब वह राजनीतिक अस्थिरता का स्रोत माना जाने लगा है। इसलिए आर्मेनिया अपनी विदेश नीति में बदलाव कर रहा है।
पश्चिम की ओर झुकाव अमेरिका और यूरोप से बढ़ती नजदीकी
जनवरी 2025 में आर्मेनिया ने अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके तुरंत बाद फरवरी में, आर्मेनिया की संसद ने यूरोपीय संघ की सदस्यता की प्रक्रिया शुरू करने वाले कानून को भी मंजूरी दे दी। यह संकेत है कि अब आर्मेनिया पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुट गया है।
फिर भी रूस बना हुआ है सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार
राजनीतिक संबंधों में भले ही दूरी आ गई हो, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर रूस अब भी आर्मेनिया का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2024 में रूस के साथ व्यापार आर्मेनिया के कुल व्यापार का 41% रहा, जो कि करीब 12.4 बिलियन डॉलर है। इसमें से 3.1 बिलियन डॉलर का हिस्सा आर्मेनियाई निर्यात का है। साथ ही, 2022-23 में रूस का आर्मेनिया में निवेश दोगुना होकर 4 बिलियन डॉलर पहुंच गया। हालाँकि, रिपोर्ट बताती है कि इसका बड़ा हिस्सा वेस्टर्न वस्तुओं के रीरूटेड एक्सपोर्ट से जुड़ा है, यानी रूस और आर्मेनिया के बीच एक प्रकार का ट्रांजिट ट्रेंड।