ट्रंप की ट्रेड वॉर बनी भारत के लिए वरदान ! गलत नीतियों से गिरी अमेरिका की साख

punjabkesari.in Tuesday, May 27, 2025 - 01:21 PM (IST)

Washington: डोनाल्ड ट्रं जो दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं, अपनी आक्रामक और विवादित नीतियों के कारण अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं।विशेषज्ञ मानते हैं कि उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति ने जहां एक ओर अमेरिका को अकेला कर दिया है, वहीं दूसरी ओर  भारत जैसे विकासशील देशों के लिए वैश्विक मंच पर आगे बढ़ने का नया रास्ता खोला है। ट्रंप की नीतियों से अमेरिका का वैश्विक प्रभुत्व कमजोर हुआ क्योंकि ट्रंप ने पारंपरिक सहयोगी देशों (जैसे यूरोपीय यूनियन) को धमकाने और व्यापार में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने की कोशिश की। टैरिफ वॉर (Trade War)  के चलते शेयर बाजारों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आई। दुनिया में अमेरिका की छवि एक विश्व नेतृत्वकर्ता (Global Leader) की बजाय स्वार्थी और अस्थिर शक्ति  के रूप में बनती जा रही है।

 

भारत जैसे देशों के लिए मौका 
ट्रंप की नीतियों से अमेरिका का वर्चस्व घटा है, जिससे  ग्लोबल साउथ (Global South)  यानी भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। ये देश अब नई और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था  की मांग कर रहे हैं जिसमें अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का दखल कम हो। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश साफ-सुथरे नियमों और न्याय आधारित अंतरराष्ट्रीय नीति  को बढ़ावा देना चाहते हैं।
 

 चीन का कूटनीतिक फायदा

  •   ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ (शुल्क) के जवाब में चीन ने 90 दिन का ब्रेक  लिया और नई व्यापार रणनीति बनाई।
  •  चीन ने दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया  के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत किए।
  •   चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)  और  न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसी योजनाओं से गरीब और विकासशील देशों में निवेश कर रहा है।

 

यूरोप और एशिया की नई पहल
यूरोपीय यूनियन अब अमेरिका पर निर्भर न रहकर खुद की स्वतंत्र वैश्विक नीति बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देश अब  मुक्त व्यापार (Free Trade) पर मिलकर बात कर रहे हैं, जिससे एशिया में अमेरिकी प्रभुत्व और घट सकता है।

 

 भारत की भूमिका
 भारत अब बहुध्रुवीय (Multi-Polar) विश्व व्यवस्था में अहम खिलाड़ी बनने की ओर बढ़ रहा है। भारत की ‘वैश्विक दक्षिण’ (Global South) नेतृत्व भूमिका को नई ऊर्जा मिल रही है क्योंकि अब दुनिया निष्पक्षता और स्थिरता की ओर देख रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इस समय आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों  पर सक्रिय होकर नेतृत्व करने का प्रयास करना चाहिए।   ट्रंप की अराजक नीतियां भले अमेरिका को नुकसान पहुंचा रही हैं, लेकिन भारत जैसे देशों के लिए यह अवसर बनकर सामने आई हैं। आने वाले वर्षों में अगर भारत ने इस मौके को समझदारी से पकड़ा, तो वह  विश्व राजनीति और वैश्विक आर्थिक मंच पर बड़ी भूमिका निभा सकता है।
 


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Content Writer

Tanuja

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