US H-1B वीज़ा: ट्रंप का बड़ा प्लान! $100,000 शुल्क के अलावा हो सकते हैं बड़े बदलाव, जानें भारतीयों पर क्या होगा असर
punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 01:42 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन एक बार फिर H-1B वीज़ा कार्यक्रम के नियमों को बेहद सख्त बनाने की तैयारी में है। पहले जहाँ $100,000 के अनिवार्य शुल्क का प्रस्ताव था, अब प्रशासन वीज़ा की योग्यता, उपयोग और कंपनियों की ज़िम्मेदारी से जुड़े नियमों में और सख्ती ला रहा है। अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने इस प्रस्ताव को अपने नए नियामक एजेंडे में शामिल किया है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य वीज़ा के गलत इस्तेमाल को रोकना, कंपनियों को और जवाबदेह बनाना और अमेरिकी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है।
प्रमुख बदलावों का मतलब क्या है?
नए प्रस्ताव में कई महत्वपूर्ण नियम शामिल हैं, जिनका सीधा असर कंपनियों और विदेशी पेशेवरों पर पड़ेगा:
-
पात्रता में बदलाव: वीज़ा कैप (संख्या सीमा) से छूट प्राप्त संस्थानों (जैसे विश्वविद्यालय और शोध संस्थान) के लिए पात्रता के नियम सख्त हो सकते हैं।
-
जाँच होगी कड़ी: नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की जाँच को और कड़ा किया जाएगा।
-
थर्ड-पार्टी पर निगरानी: कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों को अन्य कंपनियों में भेजने (Third-Party Placements) के काम पर निगरानी बढ़ाई जाएगी ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
-
वेतन-आधारित चयन: प्रशासन पारंपरिक लॉटरी प्रक्रिया की जगह Wage-Based Selection लाने पर विचार कर रहा है, जिससे उच्च वेतन वाले आवेदकों को प्राथमिकता मिलेगी।
DHS का कहना है कि ये कदम H-1B कार्यक्रम की सत्यनिष्ठा बनाए रखने और अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन तथा काम की स्थितियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी हैं।
नया नियम कब से लागू होगा?
Regulatory notice के अनुसार ये नए नियम दिसंबर 2025 में लागू किए जा सकते हैं।
भारतीय पेशेवरों पर सबसे ज्यादा असर क्यों?
इन सख्त नियमों का सबसे बड़ा असर भारत और चीन के युवा पेशेवरों पर पड़ेगा, जो अमेरिका की टेक और मेडिकल इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में काम करते हैं। Pew Research Center के अनुसार 2023 में स्वीकृत H-1B वीज़ाओं में से लगभग 74% अकेले भारतीय नागरिकों को मिले थे।
H-1B वीज़ा क्या है?
H-1B एक अस्थायी कार्य वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को उच्च-कुशल विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। हर साल 65,000 सामान्य वीज़ा और 20,000 अतिरिक्त वीज़ा अमेरिकी मास्टर्स या उच्च डिग्री धारकों के लिए जारी किए जाते हैं।
बदलाव लागू होने के बाद ये हो सकता है परिणाम-
-
वीज़ा हो सकता है महंगा: शुल्क बढ़कर $100,000 तक पहुँच सकता है।
-
शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर: छूट प्राप्त संस्थानों पर प्रतिबंध लगने से इन क्षेत्रों में भर्ती प्रभावित हो सकती है।
-
विलंब और जाँच: वीज़ा मंज़ूरी में देरी हो सकती है और जाँच प्रक्रिया बढ़ सकती है।
-
आवेदन में कमी: भारत से वीज़ा आवेदनों की संख्या में कमी आने की संभावना है।