भारत में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में जबरदस्त उछाल, बढ़ी ऊर्जा खपत
punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 11:19 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में पेट्रोल और डीजल की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे देश की ऊर्जा खपत के बदलते रुझानों का संकेत मिलता है। इंडस्ट्री डेटा के अनुसार, पेट्रोल की बिक्री में 4.6% और डीजल की बिक्री में 4% की सालाना वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मार्च 2025 की तुलना में अधिक है, जब पेट्रोल की बिक्री में 5.3% और डीजल की बिक्री में केवल 0.9% की बढ़ोतरी हुई थी।
डीजल की मांग में उछाल: कृषि और परिवहन ने निभाई बड़ी भूमिका
डीजल की बिक्री में देखी गई 4% की वृद्धि मुख्य रूप से कृषि और परिवहन क्षेत्रों में गतिविधियों में वृद्धि के कारण है। अप्रैल का महीना खरीफ फसल की कटाई और भंडारण का समय होता है, जिसके लिए ट्रैक्टरों और ट्रकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। इससे डीजल की खपत में बढ़ोतरी स्वाभाविक है। इसके अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में निर्माण और लॉजिस्टिक गतिविधियों में भी तेजी आई है, जिससे डीजल-चालित वाहनों की मांग में इजाफा हुआ है।
पेट्रोल की स्थिर मांग: गर्मियों की छुट्टियों ने किया असर
पेट्रोल की मांग में 4.6% की वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से व्यक्तिगत वाहनों के अधिक उपयोग और गर्मियों में यात्रा की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण हुई है। अप्रैल में स्कूलों की छुट्टियों और घरेलू पर्यटन में तेजी के चलते पेट्रोल की खपत में उछाल स्वाभाविक था। हालांकि मार्च की तुलना में वृद्धि की दर थोड़ी कम रही, फिर भी आंकड़े यह संकेत देते हैं कि भारत में दोपहिया और चारपहिया वाहनों का उपयोग लगातार स्थिर गति से बढ़ रहा है।
ATF और LPG की बिक्री में भी तेजी, लेकिन ATF की गति धीमी
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की बिक्री में 3.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि यह वृद्धि सकारात्मक है, परंतु यह पिछले वर्ष की औसत वृद्धि दर 8.9% की तुलना में कम है। इसका मुख्य कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं में आई थोड़ी सुस्ती मानी जा रही है। वहीं, एलपीजी की बिक्री में 6.7% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो घरेलू रसोई गैस की मजबूत मांग और गर्मियों के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते उपभोग को दर्शाती है।
क्या कहती है यह ऊर्जा खपत पर रिपोर्ट?
भारत में अप्रैल 2025 में हुई यह वृद्धि केवल मौसमी प्रभाव नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि देश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा तेजी से विकसित हो रहा है। डीजल की खपत कृषि और लॉजिस्टिक्स के विस्तार की ओर इशारा करती है, जबकि पेट्रोल की मांग शहरीकरण और व्यक्तिगत यात्रा में वृद्धि को दर्शाती है। यह रुझान भविष्य में ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं — जैसे वैकल्पिक ईंधनों का विकास, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और ईंधन वितरण रणनीतियों में बदलाव।