भारत में 8.7 तीव्रता का आ चुका है भूकंप, 4800 लोगों की हुई थी मौत

punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 06:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत जब आज़ादी का तीसरा जश्न मना रहा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह खुशी का दिन इतिहास की सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में बदल जाएगा। 15 अगस्त 1950 की शाम भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम और तिब्बत की सीमाओं पर धरती इतनी जोर से कांपी कि पूरा इलाका तबाही के मंजर में बदल गया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.7 मापी गई और यह 20वीं सदी का छठा सबसे ताकतवर भूकंप माना जाता है।

असम की पहाड़ियों से निकला था विनाश का केंद्र

इस भूकंप का केंद्र असम की मिश्मी पहाड़ियों में था, जो भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित है। यह इलाका मैकमोहन रेखा के दक्षिण में आता है। जैसे ही धरती कांपी, पूरे क्षेत्र में डर और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कई जगह तेज आवाजें सुनाई दीं, जिससे लोगों में दहशत और बढ़ गई।

70 गांव पूरी तरह मिट गए

भूकंप ने असम और तिब्बत दोनों क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया। अबोर पहाड़ियों में भारी भूस्खलन हुआ और लगभग 70 गांव पूरी तरह तबाह हो गए। भूस्खलन से पहाड़ों का मलबा और मिट्टी बहकर नीचे आई, जिससे ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां भी प्रभावित हुईं। नदियों का बहाव रुक गया और कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई।

4,800 से ज्यादा मौतें दर्ज

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस भूकंप में लगभग 4800 लोगों की जान चली गई। इनमें से 1500 मौतें भारत के असम में और 3300 मौतें तिब्बत में हुईं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह आंकड़ा 20,000 से 30,000 तक बताया गया, लेकिन सरकार की ओर से इसे पुष्टि नहीं मिली।

घरों और इमारतों के साथ सपने भी ढह गए

भूकंप ने असम के कई शहरों और गांवों में बुनियादी ढांचे को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। घर, इमारतें, स्कूल और सड़कें तक ध्वस्त हो गईं। लोगों की सालों की मेहनत एक ही झटके में मलबे में बदल गई। जिन इलाकों में भूकंप का असर ज्यादा था वहां बिजली और संचार सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।

क्यों आया इतना भयानक भूकंप

यह भूकंप हिमालयन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण आया था। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट जब आपस में भिड़ती हैं तो उनके दबाव से धरती की सतह कांप उठती है। यह इलाका पहले से ही भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है और यह घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण थी।

भविष्य के लिए एक चेतावनी

1950 का यह भूकंप सिर्फ एक आपदा नहीं था, यह एक सीधी चेतावनी भी थी कि हिमालयी क्षेत्र में किसी भी समय बड़ी तबाही आ सकती है। आज भी यह इलाका लगातार हलचल में रहता है और वैज्ञानिक इस क्षेत्र की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हैं।

इतिहास में दर्ज एक भयानक दिन

15 अगस्त 1950 को आया यह भूकंप भारतीय इतिहास के उन दिनों में शामिल हो गया, जो कभी भुलाए नहीं जा सकते। एक तरफ देश आजादी का पर्व मना रहा था और दूसरी तरफ हजारों परिवार अपने परिजनों की लाशें ढूंढ रहे थे। यह दिन आज भी लोगों के ज़हन में डर और दर्द की तस्वीर बनकर ज़िंदा है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Ashutosh Chaubey

Related News