हाई सैलरी वालों के लिए बुरी खबर: जितनी बड़ी Income, उतना महंगा चालान! इस देश में कमाई के हिसाब से कटता है जुर्माना

punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 12:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत जहां हर दिन सैकड़ों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं वहां ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन एक बड़ी समस्या है। सरकार इस साल से नियमों को तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगा रही है ताकि सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और लोगों को सुरक्षित रखा जा सके लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां ट्रैफिक चालान आपकी आय के हिसाब से लगाया जाता है? आइए जानें इस अनोखे देश और उसके नियम के बारे में।

जब एक ओवरस्पीडिंग के लिए लगा ₹1 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना

आज से लगभग दो साल पहले एक मामला सामने आया था जिसने सबको चौंका दिया था। फिनलैंड के एक शख्स पर ओवरस्पीडिंग के लिए ₹1 करोड़ छह लाख 27 हजार का भारी-भरकम जुर्माना लगा था। उस समय कई लोगों को लगा था कि यह अन्याय है लेकिन फिनलैंड का नियम ही कुछ ऐसा है।

फिनलैंड का अनोखा 'डे-फाइन' सिस्टम

फिनलैंड में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर लगने वाला जुर्माना व्यक्ति की सैलरी के हिसाब से तय किया जाता है जिसे 'डे-फाइन' सिस्टम कहते हैं। इसका मतलब है कि आप जितनी ज्यादा कमाई करते हैं आपका जुर्माना उतना ही ज्यादा होगा।

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फिनलैंड का नियम यह है कि अगर आप ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं तो आपकी रोजाना की सैलरी का कुछ हिस्सा जुर्माने के तौर पर देना पड़ता है। पुलिस अधिकारियों के स्मार्टफोन में एक सेंट्रल टैक्सपेयर डेटाबेस होता है जिसके जरिए वे किसी भी व्यक्ति की आय तुरंत चेक कर सकते हैं। इसके अलावा स्पीड लिमिट से आप जितना ऊपर जाते हैं उतने ही 'डे-फाइन' यानी उतने दिन की सैलरी के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ता है।

क्यों बनाया गया यह 'आय-आधारित' नियम?

यह अनोखा नियम केवल फिनलैंड में ही नहीं बल्कि सभी नॉर्डिक देशों (जैसे स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क) में लागू है। फिनलैंड में यह प्रणाली 1920 के दशक से चली आ रही है।

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इस नियम को बनाने का मुख्य उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना है खासकर पैसे के आधार पर। इस प्रणाली को इसलिए बनाया गया है ताकि जुर्माना सभी के लिए समान रूप से प्रभावी हो। यह सुनिश्चित करता है कि कम आय वाले लोगों के लिए जुर्माना जितना प्रभावशाली होता है उतना ही यह उच्च आय वाले लोगों पर भी वित्तीय रूप से प्रभावी हो ताकि वे भी नियमों का उल्लंघन करने से पहले सोचें।

यह प्रणाली दिखाती है कि कैसे अलग-अलग देश सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने और नियमों का पालन करवाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। 


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Content Editor

Rohini Oberoi

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