NH Toll: अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर बिना रुके कटेगा टोल, 25 हाइवे से होगी शुरुआत
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 08:25 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में टोल वसूली व्यवस्था में बड़ा बदलाव आने वाला है। अब वाहन चालकों को टोल प्लाज़ा पर लंबी कतारों में खड़े होकर भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल सिस्टम लागू करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है, जो टोल वसूली के पारंपरिक ढांचे में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा। इस तकनीकी बदलाव की शुरुआत गुजरात के चोर्यासी टोल प्लाज़ा से होगी, जो भारत का पहला "बाधा मुक्त टोल प्लाज़ा" बनने जा रहा है।
क्या है मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम?
यह एक अत्याधुनिक टोल प्रणाली है, जिसमें वाहनों को टोल प्लाज़ा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होती। फास्टैग, कैमरा आधारित वाहन पहचान तकनीक (ANPR कैमरे), हाई-टेक रीडर्स और सेंसर की मदद से स्वचालित रूप से टोल शुल्क वसूला जाएगा। वाहन जैसे ही टोल ज़ोन से गुजरता है, उसकी नंबर प्लेट स्कैन कर ली जाती है और फास्टैग से राशि काट ली जाती है।
2025-26 में 25 राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू होगी यह तकनीक
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में 25 राष्ट्रीय राजमार्गों पर यह नई प्रणाली लागू की जाएगी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य है टोल कलेक्शन को तेज, पारदर्शी और स्मार्ट बनाना, साथ ही यात्रियों को सुगम यात्रा का अनुभव देना।
चोर्यासी टोल प्लाज़ा बना देश में पहला
गुजरात स्थित चोर्यासी टोल प्लाज़ा को इस नई व्यवस्था के लिए चुना गया है, जहां यह तकनीक सबसे पहले लागू की जाएगी। इस प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड और ICICI बैंक के बीच एक समझौता (MoU) किया जा चुका है।
इससे क्या होंगे फायदे?
-वाहनों को रुकने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे लंबी कतारों से छुटकारा मिलेगा।
-समय की बचत होगी, खासकर व्यस्त टोल प्लाज़ा पर।
-ईंधन की खपत घटेगी, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होगा।
-टोल कलेक्शन सिस्टम अधिक पारदर्शी और कुशल बनेगा।
-डिजिटल ट्रैकिंग के कारण धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।
भारत का सड़क नेटवर्क: एक झलक
भारत में कुल सड़क नेटवर्क की लंबाई लगभग 63 लाख किलोमीटर से अधिक है। इनमें से राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 1.46 लाख किलोमीटर के पार पहुंच चुकी है। पिछले दस वर्षों में इस नेटवर्क में 55 हजार किलोमीटर से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।