MTCR का पूर्ण सदस्य बना भारत, मिसाइल की ताकत में चीन-पाकिस्‍तान अब हमसे पीछे

punjabkesari.in Monday, Jun 27, 2016 - 10:50 AM (IST)

नई दिल्ली: चीन और कुछ अन्य देशों के कड़े विरोध के कारण एन.एस.जी. की सदस्यता प्राप्त करने में विफल रहने के 3 दिन बाद ही भारत को आज मिसाइल टैक्रोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एम.टी.सी.आर.) का पूर्ण सदस्य बन गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि ‘हमने पिछले वर्ष एम.टी.सी.आर. की सदस्यता के लिए आवेदन किया था और सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। आज विदेश सचिव एस. जयशंकर फ्रांस, नीदरलैंड और लग्जमबर्ग के राजदूतों की मौजदूगी में एम.टी.सी.आर. का सदस्य बनने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।

चीन को भारत की चेतावनी

विकास ने कहा कि पड़ोसी देश चीन को भारतीय जनता की भावनाओं को समझना चाहिए। हम चीन को मनाने की कोशिश भी कर रहे हैं। स्वरूप ने कहा कि देश की एनएसजी सदस्यता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसीलिए इतनी गंभीर कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वह परमाणु ऊर्जा के महत्व के बारे में जानते हैं।

भारत के लिए क्यों जरूरी NSG
स्वरूप ने कहा कि एमटीसीआर और एससीओ में भारत के शामिल होने के बाद हमें इस बात का यकीन है कि जल्द ही एनएसजी की सदस्यता भी हासिल कर लेंगे। हम इसके लिए कोशिश करते रहेंगे। यह सारी कोशिश ऊर्जा संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के लिए की जा रही है। न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और यूरेनियम बिना किसी खास समझौते के हासिल होगी। न्यूक्लियर प्लान्ट्स से निकलने वाले कचरे को खत्म करने में भी एनएसजी मेंबर्स से मदद मिलेगी। साऊथ एशिया में हम चीन की बराबरी पर आ जाएंगे।

क्या है NSG?
एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप मई 1974 में भारत के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद बना था। इसमें 48 देश हैं। इनका मकसद न्यूक्लियर वेपन्स और उनके प्रोडक्शन में इस्तेमाल हो सकने वाली टेक्नीक, इक्विपमेंट और मटेरियल के एक्सपोर्ट को रोकना या कम करना है। 1994 में जारी एनएसजी गाइडलाइन्स के मुताबिक, कोई भी सिर्फ तभी ऐसे इक्विपमेंट के ट्रांसफर की परमिशन दे सकता है, जब उसे भरोसा हो कि इससे एटमी वेपन्स को बढ़ावा नहीं मिलेगा। एनएसजी के फैसलों के लिए सभी मेंबर्स का समर्थन जरूरी है। हर साल एक मीटिंग होती है।


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