अगले 25 साल में 4 करोड़ लोगों की जान ले सकता है ये Silent Killer!, जानिए बचने का आसान तरीका

punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2024 - 06:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी ने हम सभी को प्रभावित किया था, जिससे पूरी दुनिया की गति रुक गई थी और लाखों लोगों की जान गई थी। कई लोग मानते हैं कि ऐसी तबाही फिर से नहीं होगी, लेकिन असलियत यह है कि दुनिया अभी भी एक गंभीर समस्या का सामना कर रही है, जिसे साइलेंट किलर कहा जा रहा है। यह समस्या साल 2050 तक लगभग 4 करोड़ लोगों की जान ले सकती है। इस रिपोर्ट में जानिए कि यह साइलेंट किलर क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

हम बात कर रहे हैं एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट इंफेक्शंस (एआरआई) की। इसका मतलब है ऐसे संक्रमण जो सामान्य दवाओं का असर नहीं होने देते। हाल ही में 'द लैंसेट' जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया है कि साल 1900 से 2021 के बीच ड्रग रेजिस्टेंट संक्रमणों के कारण 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है। रिसर्च के अनुसार, अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो 2025 तक यानी अगले 25 वर्षों में इसकी वजह से लगभग 4 करोड़ लोग अपनी जान गंवा सकते हैं।

इस अध्ययन ने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को गहरी चिंता में डाल दिया है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, क्योंकि यह चिकित्सा विज्ञान की प्रगति को चुनौती देता है। इसके बचाव के लिए जागरूकता, उचित दवा का उपयोग और चिकित्सा में सुधार की आवश्यकता है। लोगों को एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग से बचना चाहिए और केवल चिकित्सक की सलाह पर इन्हें लेना चाहिए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संगठनों और सरकारों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस साइलेंट किलर के प्रभाव को कम किया जा सके।

बचने के लिए उठाने होंगे ऐसे बड़े कदम

रिसर्च को लीड करने वाले डॉ. मोहसिन नघावी के अनुसार यह ड्रग रेजिस्टेंस की यह समस्या कई दशकों से बनी हुई है और आने वाले समय में यह खतरा और गंभीर होने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सबसे ज्यादा समस्या पैदा करने वाले बैक्टीरिया के लिए नई और ज्यादा असरदार एंटीबायोटिक्स डेवलप कर ली जाएं तो करीब 1.1 करोड़ लोगों को बचाया जा सकता है। ऐसे में हमें वैक्सीनेशन, नई दवाओं, बेहतर हेल्थकेयर के जरिए गंभीर इंफेक्शंस के खतरे को कम करने के लिए नई रणनीति बनाने की जरूरत है।


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News Editor

Parveen Kumar

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