साल में एक दिन खुलता है ये रहस्यमयी मंदिर, आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं पुजारी

punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 04:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता, यहां हर पहाड़ी, हर मंदिर और हर नदी के पीछे कोई न कोई रहस्य या पौराणिक कथा छिपी होती है। ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर है चमोली जिले के वांण गांव में- लाटू देवता का मंदिर। यह मंदिर जितना पवित्र है, उतना ही रहस्यमयी भी है।

कहां है लाटू देवता मंदिर?
लाटू देवता का यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में स्थित वांण गांव में है। यह स्थान नंदा देवी राजजात यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। इस यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है, जो हर 12 साल में होती है।

कौन हैं लाटू देवता?
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, लाटू देवता नंदा देवी के धर्म भाई हैं। नंदा देवी को माता पार्वती का रूप माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती के विवाह के समय लाटू देवता भी बारात के साथ गए थे। उस दौरान उनसे एक गलती हो गई- उन्होंने गलती से पानी की जगह शराब पी ली। इससे वे उत्पात मचाने लगे, जिससे देवी नाराज़ हो गईं। बाद में जब लाटू देवता को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने क्षमा मांगी। तब देवी ने उन्हें वांण गांव में वास करने का आदेश दिया और यह भी कहा कि साल में केवल एक दिन उनकी पूजा की जाएगी।

मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार खुलते हैं
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि मंदिर के द्वार साल में केवल एक बार- वैशाख महीने की पूर्णिमा को ही खोले जाते हैं। उस दिन ही यहां विशेष पूजा होती है और विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है। इसके बाद मार्गशीर्ष की अमावस्या को मंदिर के कपाट दोबारा बंद कर दिए जाते हैं।

आंखों पर पट्टी क्यों बांधते हैं?
सबसे दिलचस्प बात ये है कि मंदिर के अंदर कोई भी नहीं जा सकता- न श्रद्धालु और न ही पुजारी। जब पुजारी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आंखों पर पट्टी और मुंह पर कपड़ा बांधते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि मंदिर के अंदर नागराज अपनी दिव्य मणि के साथ विराजमान हैं, जिसकी चमक इतनी तेज मानी जाती है कि उसे देखने से इंसान अंधा हो सकता है।

मुंह पर पट्टी बांधने का कारण ये है कि नागराज तक किसी की सांस या गंध न पहुंचे, जिससे उनकी क्रोध की आग भड़क न उठे। यह मणि चमत्कारी मानी जाती है और कहा जाता है कि अगर कोई इसे पा ले तो पूरी दुनिया का भला हो सकता है, लेकिन अब तक ऐसा संभव नहीं हुआ है।

मंदिर कैसे पहुंचे?
अगर आप दिल्ली से यात्रा शुरू करना चाहते हैं तो पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा। वहां से आपको करीब 465 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। हवाई मार्ग से आने वाले यात्री तनगर हवाई अड्डे (Jolly Grant Airport) पर उतर सकते हैं, जहां से टैक्सी लेकर चमोली आ सकते हैं। चमोली से वांण गांव 27 किलोमीटर की दूरी पर है।


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Content Editor

Harman Kaur

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