पुलिस ने दरवाजे पर पहुंचकर कहा- डॉक्यूमेंट दिखाओ, फिर परिवार का खुल गया बड़ा ''राज''
punjabkesari.in Friday, Apr 11, 2025 - 06:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बवाना की जेजे कॉलोनी में उस वक्त हड़कंप मच गया जब दिल्ली पुलिस की टीम ने एक मकान का दरवाजा खटखटाया और डॉक्यूमेंट दिखाने को कहा। बाहर आए व्यक्ति ने जैसे ही पहचान पत्र दिखाए, पुलिस को कुछ संदेह हुआ। दस्तावेजों की गहराई से जांच शुरू हुई और चौंकाने वाला सच सामने आया। 72 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति और उसके दो बेटे — शाहिद खान (28) और मिंटू (32) — पिछले 20 वर्षों से बवाना में फर्जी दस्तावेजों के सहारे रह रहे थे। सभी बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे थे और दिल्ली को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया था।
दिल्ली पुलिस की प्लानिंग से हुआ पर्दाफाश
क्राइम ब्रांच के डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि उन्हें पहले से इनपुट मिला था कि इलाके में एक बांग्लादेशी परिवार अवैध रूप से रह रहा है। टीम ने लंबे समय तक उनकी गतिविधियों पर नजर रखी। जब पर्याप्त सबूत इकट्ठा हो गए, तब छापेमारी की गई। बेटों ने पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की और भारतीय नागरिक होने का दावा करते हुए आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज दिखाए। लेकिन फॉरेंसिक जांच में यह स्पष्ट हो गया कि सारे दस्तावेज फर्जी हैं।
पूछताछ में मानी गलती, कबूला बांग्लादेशी होना
पुलिस पूछताछ में तीनों आरोपियों ने आखिरकार सच कबूल कर लिया। उन्होंने माना कि वे बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आए थे। पश्चिम बंगाल में कुछ दिनों तक रुकने के बाद वे दिल्ली पहुंचे और यहां के स्थानीय लोगों की मदद से फर्जी पहचान पत्र बनवाए। इसके बाद वे खुलेआम प्रॉपर्टी डीलर के रूप में काम करने लगे।
महिपालपुर से भी पकड़ा गया बांग्लादेशी नागरिक
दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम इलाके महिपालपुर से भी एक अन्य अवैध घुसपैठिए को पकड़ा गया। उसका नाम मोहम्मद मोंटो बताया गया है। वह पिछले 15 सालों से दिल्ली में रह रहा था और जब पुलिस ने उससे पहचान पत्र मांगा तो वह कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सका। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आया था और लगातार बचता रहा। लेकिन अब पुलिस की नजर में आ गया और उसे सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विदेशी पंजीकरण कार्यालय (FRRO) के निर्वासन केंद्र भेज दिया गया।
फर्जी दस्तावेज का जाल और स्थानीय मदद
दिल्ली पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि ये घुसपैठिए सिर्फ अवैध तरीके से भारत में नहीं रह रहे थे, बल्कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी सेवाओं और योजनाओं का फायदा भी उठा रहे थे। इन दस्तावेजों को बनाने में उन्हें स्थानीय लोगों की मदद मिली, जिन पर अब पुलिस निगरानी रख रही है।
डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि यह कार्रवाई सिर्फ एक शुरुआत है। दिल्ली में ऐसे और भी कई अवैध प्रवासी छिपे हो सकते हैं। पुलिस अब अन्य संभावित संदिग्धों की पहचान कर रही है। इस मामले में विदेशी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।