ट्रंप के बढ़ते टैरिफ के पीछे रूस का तेल नहीं, ये हो सकती है असल वजह! चलिए समझते हैं
punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 05:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामान पर 50 फीसदी टैरिफ (शुल्क) लगा दिया है। उन्होंने इस फैसले के पीछे कारण बताया कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। लेकिन क्या वाकई सिर्फ यही वजह है? अगर केवल तेल खरीद की बात होती, तो चीन और यूरोपीय देशों पर भी यही टैक्स लागू होता। इस पूरे मामले में भारत पर केवल टैरिफ ही नहीं, बल्कि पेनाल्टी भी लगाई गई है, जो दिखाता है कि मामला कहीं ज्यादा गहरा है।
दोस्ती की शुरुआत और गलतफहमियां
26 जून 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत स्तर पर दोस्ती की शुरुआत की। लेकिन वक्त के साथ ट्रंप ने इस दोस्ती को एकतरफा ताकत दिखाने का ज़रिया बना लिया। जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, तो ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत को संघर्ष रोकने का आदेश दिया था। उन्होंने इसे 'सीजफायर' बताया। लेकिन भारत ने कभी इस दावे को स्वीकार नहीं किया। संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि उन्हें किसी भी देश ने ऑपरेशन रोकने को नहीं कहा। इस बयान से ट्रंप की 'सुपरपावर' वाली छवि को झटका लगा और यहीं से रिश्तों में खटास आने लगी।
टैरिफ का असली खेल
भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाना सिर्फ रूस से तेल खरीदने के कारण नहीं था। इसके पीछे ट्रंप की आर्थिक सोच और व्यापार संतुलन की चिंता भी थी। ट्रंप भारत के साथ ट्रेड डील करना चाहते थे। लेकिन उन्हें यह बात पसंद नहीं आई कि अमेरिका भारत से ज्यादा खरीद रहा है और बेच कम रहा है, यानी अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) हो रहा है। इसी घाटे को खत्म करने के लिए ट्रंप ने भारत पर दबाव बनाया कि वह अमेरिका के डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए अपना बाजार खोल दे। लेकिन भारत पहले से ही दूध और कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर है। ऊपर से अमेरिका ऐसा चारा बेचना चाहता था जिसमें मांस मिला होता था और भारत में गाय को पूजनीय माना जाता है। ऐसे में भारत ने यह मांग ठुकरा दी।
ट्रंप की नाराज़गी और टैक्स की चोट
भारत की नकारात्मक प्रतिक्रिया से ट्रंप नाराज़ हो गए। उन्होंने सीधा असर डालने वाला फैसला लिया। भारत से आने वाले सामान पर 50% टैक्स। इसमें 25% टैरिफ और 25% पेनाल्टी शामिल थी। इसका असर सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि अमेरिकी ग्राहकों पर भी पड़ा। जो सामान पहले अमेरिका में 100 रुपये में बिकता था, वह अब 150 रुपये में मिलेगा। यानी महंगाई अमेरिका में भी बढ़ेगी। जब तक अमेरिका इन सामानों (जैसे दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपास और जूलरी) का उत्पादन अपने देश में शुरू नहीं करता, तब तक उसे भारत से ही खरीदना पड़ेगा, चाहे वो महंगा क्यों न हो।
ट्रंप की रणनीति उलटी पड़ सकती है
ट्रंप का यह फैसला राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर उनके लिए भारी पड़ सकता है। एक तरफ उन्होंने भारत से व्यापार करने की संभावनाओं को झटका दिया, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के आम लोगों पर महंगाई का बोझ डाल दिया।