Unified Pension Scheme: पेंशन योजना में होगा बड़ा बदलाव, UPS और NPS में से एक का चयन, जानिए कौन सा है फायदेमंद?

punjabkesari.in Tuesday, Apr 01, 2025 - 09:59 AM (IST)

नई दिल्ली: अप्रैल महीने की शुरुआत के साथ पेंशन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। अब केंद्रीय कर्मचारियों के पास दो विकल्प होंगे— यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)। यह बदलाव सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। इस बदलाव के तहत, जो केंद्रीय कर्मचारी पहले से NPS के तहत पंजीकृत हैं, उन्हें अब UPS का विकल्प भी मिलेगा। 

1 अप्रैल 2025 से लागू होगी UPS
पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने मार्च 2025 में UPS की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक सुरक्षित और स्थिर आय प्रदान करना है। UPS के तहत, कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन प्राप्त करेंगे, जो उनकी रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% होगी। इसके लिए कर्मचारी को कम से कम 25 साल तक सरकारी सेवा में रहना आवश्यक होगा। 

कर्मचारियों के परिवार के लिए भी सुरक्षा 
अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा के दौरान हो जाती है, तो उनके परिवार को भी पेंशन मिलती रहेगी, जो कर्मचारी की निर्धारित पेंशन का 60% होगी। इसका मतलब है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी परिवार को वित्तीय सुरक्षा मिलती रहेगी। इसके अतिरिक्त, इस स्कीम में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि 10 साल तक सेवा करने वाले कर्मचारियों को कम से कम 10,000 रुपये की पेंशन प्राप्त होगी, चाहे उनकी पेंशन राशि किसी कारण से कम हो।

महंगाई के आधार पर पेंशन में वृद्धि 
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में महंगाई के आधार पर पेंशन में वृद्धि की जाएगी। पेंशन में यह वृद्धि ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-W) के आधार पर की जाएगी, जिससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की पेंशन महंगाई के साथ समायोजित हो सकेगी। इसके अलावा, कर्मचारियों को एकमुश्त रकम भी दी जाएगी, जो उनके रिटायरमेंट के समय की वित्तीय सुरक्षा को और मजबूत करेगी।

सरकार का योगदान 14%  
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का 10% योगदान करना होता है, जबकि सरकार का योगदान 14% होता है। वहीं, UPS में सरकार का योगदान कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 18.5% होगा। यह बदलाव UPS को कर्मचारियों के लिए एक अधिक लाभकारी विकल्प बनाता है, क्योंकि इसमें सरकार की हिस्सेदारी अधिक है। UPS को लागू करने से सरकार पर पहले साल में लगभग 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है, लेकिन यह कर्मचारी की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।

NPS और UPS में क्या अंतर है?
- NPS में पेंशन की राशि बाजार के रिटर्न पर निर्भर करती है, जिससे उसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है। अगर बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है, तो पेंशन राशि बढ़ सकती है, लेकिन अगर बाजार में गिरावट आती है, तो पेंशन राशि में कमी भी हो सकती है। इसके विपरीत, UPS में पेंशन एक निश्चित राशि होगी, जो कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% होगी।
- NPS में सरकार का योगदान 14% होता है, जबकि UPS में यह 18.5% होगा।
- UPS में पेंशन में महंगाई के हिसाब से वृद्धि होगी, जिससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को लगातार उच्च पेंशन मिल सकेगी। जबकि NPS में यह सुविधा नहीं है, और पेंशन राशि बाजार के रिटर्न पर निर्भर करती है।
- UPS में कर्मचारियों को 25 साल तक सेवा देने के बाद एक निश्चित पेंशन और एकमुश्त रकम मिलती है। इसके विपरीत, NPS में कोई निश्चित पेंशन नहीं होती है।

किसे चुनना चाहिए UPS या NPS?
कर्मचारी अपने भविष्य की वित्तीय सुरक्षा को लेकर अधिक सुनिश्चितता चाहते हैं तो UPS उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसमें एक निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती है, और महंगाई के आधार पर पेंशन में वृद्धि होती रहती है। इसके साथ ही, सरकार का योगदान भी अधिक है। दूसरी तरफ, अगर कोई कर्मचारी अपनी पेंशन राशि में संभावित वृद्धि और बाजार के रिटर्न का लाभ उठाना चाहता है, तो NPS उसका बेहतर विकल्प हो सकता है। यह बदलाव 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा और यह उनके भविष्य को और सुरक्षित बनाएगा। 
 


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Content Editor

Mahima

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