इस गांव में नहीं है कोई विधवा, लेकिन क्याें?

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2016 - 06:43 PM (IST)

बेहंगाः मध्य प्रदेश के मंडला जिले में एक गोंड नाम की आदिवासी जनजाति रहती है। इस समुदायकी दिलचस्प बात यह है कि यहां अापकाे शायद ही कोई विधवा महिला मिले। इसकी वजह है गोंड जनजाति की एक अनोखी परंपरा। 

कुंवारे लड़के से करा देते है शादी
जानकारी के मुताबिक, यहां रिवाज है कि अगर किसी महिला के पति की मौत हो जाती है तो उसकी शादी परिवार के अगले कुंवारे लड़के से कर दी जाती है, फिर चाहे वह महिला का पोता ही क्यों न हो। अगर कभी ऐसी स्थिति हुई की शादी के लिए कोई पुरुष तैयार नहीं हुआ या परिवार में कोई और पुरुष नहीं है तो महिला को खासतौर पर बनी चांदी की चूड़ियां दी जाती हैं जिन्हें ''पातो'' कहते हैं। ये चूड़ियां महिला के पति की मौत के दसवें दिन दी जाती हैं और इसे पहने के बाद उसे शादीशुदा माना जाता है। 

दादी से करा दी शादी
इसके बाद महिला उस घर में रहती है जहां से उसे चूड़ियां दी जाती हैं। पतिराम वारखाडे जब सिर्फ 6 साल के थे तभी उनके दादा जी का निधन हो गया। दादा की मौत के दसवें दिन पतिराम की शादी उनकी दादी चमरी बाई से करा दी गई। इस रस्म को ''नाती पातो'' कहा गया। 42 साल के पतिराम बताते हैं कि बाद में सभी धार्मिक गतिविधियों में हमने पति-पत्नी की तरह हिस्सा लिया। बाद में जब मैं बड़ा हुआ तो मैंने अपने पसंद की लड़की से शादी की। 

''दूसरी पत्नी'' का दर्जा
हमारा समुदाय ऐसे शादी करने वाले नाबालिगों को वयस्क होने पर दोबारा शादी करने की इजाजत देता है। हालांकि आपकी पंसद की लड़की को ''दूसरी पत्नी'' के दर्जे से खुश रहना पड़ता है, जब तक कि पहली पत्नी जीवित हो। उम्र में अंतर के मद्देनजर आमतौर पर इस रिश्ते में महिला और पुरुष के बीच शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनते हैं। लेकिन अगर दोनों अपनी मर्जी से करीब आते हैं तो कोई उन्हें रोकता भी नहीं। गोंडा जनजाति के लोग गांव से बाहर जाने के बाद भी इस प्रथा का पालन करते हैं। इतना ही नहीं पढ़े-लिखे युवाओं में भी यह परंपरा जीवित है। 


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