Cancer Vaccine: मेडिकल साइंस का चमत्कार! आ गई दुनिया की पहली 'पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन', जानें कैसे करेगी काम

punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 09:52 AM (IST)

नेशनल डेस्क। कैंसर के इलाज की दिशा में दुनिया भर में एक नई और क्रांतिकारी तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है जिसे 'पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन' कहा जाता है। यह कोई सामान्य टीका नहीं है बल्कि एक ऐसा उपचार है जो हर मरीज़ के लिए अलग से तैयार किया जाता है। हाल ही में एनएचएस इंग्लैंड ने पहली बार आंत के कैंसर के एक मरीज़ पर ऐसे व्यक्तिगत टीके का इस्तेमाल किया था।

कैंसर के टीके और पर्सनलाइज्ड वैक्सीन का मतलब

कैंसर के टीके इम्यूनोथेरेपी का एक प्रकार हैं। इसका सीधा अर्थ है कि ये इलाज के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं।

उद्देश्य: इन टीकों को प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से प्रशिक्षित करने के लिए दिया जाता है कि वह कैंसर कोशिकाओं को खोजे, उन्हें मारे और सबसे महत्वपूर्ण उन्हें दोबारा बनने से रोके।

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पर्सनलाइज्ड का मतलब: पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन एक चिकित्सीय इम्यूनोथेरेपी है जिसे किसी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह वैक्सीन कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद विशिष्ट प्रोटीन (नियोएंटीजन) की पहचान करती है और उन्हें ही टारगेट करके नष्ट करती है। इसका उद्देश्य एक शक्तिशाली और टिकाऊ ट्यूमर-विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करना है।

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रूस की 'Enteromix' वैक्सीन से जगी उम्मीद

घातक बीमारियों में गिने जाने वाले कैंसर से हर साल लाखों लोग जान गंवाते हैं। ऐसे में रूस ने अपनी Enteromix वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में उम्मीद जगाई है।

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दावा: शुरुआती ट्रायल में इस वैक्सीन ने 100% प्रभाव दिखाया है।

सुरक्षा और असर: रिपोर्ट्स के मुताबिक यह वैक्सीन सुरक्षित है और ट्यूमर की ग्रोथ को 60-80% तक धीमा कर सकती है।

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यह वैक्सीन कैसे करती है काम?

रूस की Enteromix वैक्सीन उसी mRNA तकनीक पर आधारित है जिसका उपयोग कोविड-19 की वैक्सीन (जैसे फाइजर और मॉडर्ना) में किया गया था लेकिन इसके काम करने का तरीका अलग है:

कस्टम-मेकिंग (टेलरिंग): यह वैक्सीन हर मरीज़ के ट्यूमर प्रोफाइल के हिसाब से पर्सनलाइज्ड (व्यक्तिगत) होती है।

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ट्यूमर की पहचान: वैज्ञानिक मरीज़ के ट्यूमर सेल्स की जेनेटिक जानकारी लेकर उसके RNA का इस्तेमाल करते हैं।

ट्रेनिंग: इस RNA से बनी वैक्सीन को जब शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो यह इम्यून सिस्टम को सिखाती है कि उसे केवल विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं पर हमला करना है ठीक उसी तरह जैसे एक सामान्य वैक्सीन शरीर को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है।

इस तकनीक का लक्ष्य मौजूदा कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना और साथ ही भविष्य में उनके फिर से पनपने की संभावना को रोकना है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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