PM मोदी की अनोखी रणनीति: विश्व नेताओं को गले लगाने के पीछे छुपा ये गहरा राज

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2024 - 05:37 PM (IST)

International desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति में गले लगाना एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। भारत में गले लगाना, जिसे 'आलिंगन' कहा जाता है, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। PM मोदी का गले लगाना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यक्तिगत संबंधों को महत्व देने का प्रतीक है। यह एकता और साझा मानवता का संदेश देता है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है।  वन्यजीव प्रेमी स्टीव इरविन ने कहा था, "जहां मैं रहता हूं, अगर कोई आपको गले लगाता है, तो वह दिल से होता है।" यह भावना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में गहराई से झलकती है।यह सिर्फ एक अभिवादन नहीं, बल्कि विश्वास, सम्मान और जुड़ाव का प्रतीक है। प्राचीन भारतीय महाकाव्यों में भी गले लगने की परंपरा दिखाई देती है, जैसे रामायण में भगवान राम और हनुमान का गले लगना, जो दोस्ती और आध्यात्मिक बंधन को दर्शाता है

 

US president Joe Biden walks to greet & hug Indian PM Narendra Modi at G7 Summit in Hiroshima, Japan.pic.twitter.com/S2hFm55u6A

— Rohan Dua (@rohanduaT02) May 20, 2023

। इन ऐतिहासिक संदर्भों में, मोदी का गले लगाना सिर्फ स्नेह का इज़हार नहीं है, बल्कि एक सोच-समझी कूटनीतिक रणनीति है। यह भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने का एक तरीका है। वैश्विक राजनीति में, जहां हर कदम का विश्लेषण होता है, मोदी ने एक अनोखा तरीका अपनाया है: गले लगाना। यह साधारण सा दिखने वाला काम उनकी कूटनीतिक शैली का अहम हिस्सा बन गया है। मोदी की "गले लगाने की कूटनीति" का असली मतलब समझने के लिए इसके सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कूटनीतिक पहलुओं को जानना जरूरी है। 9 जुलाई, 2024 को जब मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाया, तो इसने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को चिंता में डाल दिया। इस पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा, "हमारे देश में, जब लोग मिलते हैं, तो वे गले मिलते हैं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।"

 

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गले लगाने की यह परंपरा भारतीय संस्कृति में गहरी जड़ें रखती है, लेकिन यह दुनिया के अन्य हिस्सों में भी महत्वपूर्ण रही है। प्राचीन ग्रीस, रोम, और यूरोप के मध्य युग में भी गले मिलना सामाजिक और कूटनीतिक बातचीत का हिस्सा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति में गले लगाना एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह साधारण सा दिखने वाला इशारा उनकी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का अहम हिस्सा है, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ा हुआ है। 

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9 जुलाई 2024 को, जब मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाया, तो इस पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने चिंता जताई। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने इस पर कहा, "हमारे देश में गले मिलना एक सामान्य सांस्कृतिक परंपरा है।"मोदी का गले लगाना स्नेह का इज़हार होने के साथ-साथ एक रणनीतिक कदम भी है, जो भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देता है। यह एकता और साझा मानवता का संदेश है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है।


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Content Writer

Tanuja

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