इस जानवर की चर्बी से तैयार की गई थी पहली लिपिस्टिक, जानें सौंदर्य की दुनिया का हैरान कर देने वाला सच!

punjabkesari.in Tuesday, Jul 29, 2025 - 04:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क। आज की नारी के लिए लिपिस्टिक सिर्फ एक ब्यूटी कॉस्मेटिक नहीं बल्कि आत्मविश्वास और पहचान का प्रतीक बन चुकी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके मेकअप किट में सबसे अहम जगह रखने वाली यह लिपिस्टिक कभी हिरण की चर्बी से बनाई जाती थी और जिस कंपनी ने इसे पहली बार बाज़ार में बेचा था वह एक फ्रांसीसी परफ्यूम ब्रांड था। लिपिस्टिक का इतिहास वाकई बहुत दिलचस्प और रंगीन है आइए जानें इसका पूरा सफर।

सभ्यताओं में रची-बसी लिपिस्टिक की परंपरा

लिपिस्टिक का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। सुमेरियन सभ्यता में लोग फूलों और फलों के रस से रंग तैयार कर अपने होठों को सजाते थे। वहीं मेसोपोटामिया में महिलाएं बेशकीमती रत्नों की डस्ट से लिप कलर बनाती थीं। भारत में तो यह महिलाओं के सोलह श्रृंगार का अभिन्न अंग है।

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इस्लामिक वैज्ञानिक ने दी पहली वैज्ञानिक रूपरेखा

दसवीं सदी में इस्लामिक रसायनशास्त्री और कॉस्मेटोलॉजिस्ट अबू अल कासिम अल जरावी ने लिप कलर का पहला मोडेल्ड फॉर्म तैयार किया था। उनकी यह प्राचीन खोज ही आधुनिक लिपिस्टिक का आधार बनी।

हिरण की चर्बी से बनी पहली कमर्शियल लिपिस्टिक

1884 में फ्रांस की मशहूर परफ्यूम कंपनी गुलेरियन ने पहली बार व्यावसायिक लिपिस्टिक तैयार की थी। यह लिपिस्टिक हिरण की चर्बी, बीजवैक्स (मोम) और कैस्टर ऑयल से बनाई गई थी। तब इसे किसी ट्यूब में नहीं बल्कि रेशमी कागज में लपेटकर बेचा जाता था। उस समय यह प्रोडक्ट केवल अमीर और एलीट क्लास की महिलाओं के लिए ही उपलब्ध था।

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ग्रीक साम्राज्य में लिपिस्टिक पर कानून और मर्लिन मुनरो का जादू

इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन यूनान में लिपिस्टिक का इस्तेमाल केवल वेश्याओं तक सीमित था। वहां के नियमों के अनुसार वेश्याओं को गहरे रंग की लिपिस्टिक लगाना ज़रूरी था जिससे उनकी पहचान अलग बनी रहे। हालांकि बाद में यह ब्यूटी कॉस्मेटिक आम महिलाओं तक भी पहुंचा और धीरे-धीरे फैशन आइकन बन गया।

1930 से 50 के दशक में हॉलीवुड की ग्लैमरस एक्ट्रेसेस जैसे मर्लिन मुनरो और एलिजाबेथ टेलर ने लिपिस्टिक को एक नई पहचान दी। उन्होंने खास तौर पर लाल रंग के डार्क लिपिस्टिक को इतना लोकप्रिय बनाया कि यह आत्मविश्वास और ग्लैमर का प्रतीक बन गई। इन्हीं के चलते रेड शेड्स फैशन में सबसे ज़्यादा चलन में आ गए।

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लिपिस्टिक के पीछे छिपे कीड़े, धातुएं और खतरनाक केमिकल

आधुनिक लिपिस्टिक भले ही दिखने में खूबसूरत हो लेकिन इसके पीछे की हकीकत चौंकाने वाली है। आज भी कई कंपनियां अपनी लिपिस्टिक में कीड़ों से बना रंग और हेवी मेटल्स जैसे लेड, कैडियम, आर्सेनिक जैसी चीजें इस्तेमाल करती हैं। कारमाइन (Carmine) एक ऐसा लाल रंग है जो कोचीनियल कीड़े को पीसकर बनाया जाता है। एक पाउंड रंग बनाने के लिए लगभग 70,000 कीड़े मारे जाते हैं। वहीं हेवी मेटल का लंबे समय तक प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

अब बढ़ रही है नेचुरल लिपिस्टिक की डिमांड

लिपिस्टिक में इस्तेमाल होने वाले इन संभावित खतरों को देखते हुए अब महिलाएं नेचुरल और ऑर्गेनिक लिपिस्टिक को प्राथमिकता देने लगी हैं। आज कई ब्रांड्स ऐसे हैं जो शिया बटर, विटामिन ई, कोको बटर जैसे प्राकृतिक इंग्रेडिएंट्स से बनी लिपिस्टिक बाज़ार में ला रहे हैं जिनमें न तो कीड़े, न ही जानवरों की चर्बी और न ही कोई जहरीले केमिकल होते हैं। यह रुझान सुरक्षित और टिकाऊ सौंदर्य उत्पादों की ओर बढ़ते उपभोक्ता झुकाव को दर्शाता है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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