दिल्ली के लोगों की बढ़ गई मुश्किलें, ईरान-इजराइल युद्ध का राजधानी में दिखने लगा असर
punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 07:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव और युद्ध ने दिल्ली-एनसीआर के ड्राई फ्रूट बाजार को सीधे प्रभावित करना शुरू कर दिया है। खासकर ईरान से आने वाले मामरा बादाम और पिस्ता की कीमतों में हाल के दिनों में तेज वृद्धि देखी गई है। अगर यह युद्ध जारी रहा, तो इनकी कीमतें इतनी बढ़ सकती हैं कि आम उपभोक्ता इन्हें खरीदना मुश्किल समझें। दिल्ली के खारी बावली बाजार, जो एशिया का सबसे बड़ा और सबसे सस्ता ड्राई फ्रूट मार्केट माना जाता है, वहां इस समय कीमतों में बढ़ोतरी ने व्यापारियों और ग्राहकों दोनों की चिंता बढ़ा दी है। यहां के प्रमुख व्यापारी जग्गी जी के अनुसार, मामरा बादाम की कीमतें जो पहले लगभग 2000 रुपये प्रति किलो थीं, अब 2400 रुपये तक पहुंच गई हैं। वहीं, पिस्ता की कीमतें भी 1400 रुपये से बढ़कर 1700 रुपये प्रति किलो हो गई हैं।
व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल गर्मी के कारण ग्राहक कम हैं, लेकिन त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने के साथ कीमतों पर और भी दबाव पड़ेगा। पंकज जी, जो खारी बावली में ड्राई फ्रूट्स का व्यापार करते हैं, बताते हैं कि ईरान-इजराइल युद्ध के कारण ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है। काबुल से आने वाले ड्राई फ्रूट्स की कीमतों पर भी लगभग 10 प्रतिशत का असर पड़ा है।
दिल्ली किराना कमेटी के अध्यक्ष गंगा बिशन गुप्ता के अनुसार, युद्ध के कारण सप्लाई चेन बाधित हुई है और जो माल रास्ते में था वह आ रहा है, लेकिन आने वाले समय में सप्लाई में कमी आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि होलसेल रेट्स में भी 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज हुई है। अफगानिस्तान से आने वाले ड्राई फ्रूट्स की कमी के चलते स्थिति और गंभीर हो सकती है।
त्योहारों और खास मौकों पर ड्राई फ्रूट्स की मांग अधिक होती है, लेकिन अगर कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो आम जनता के लिए ये उत्पाद महंगे होते जाएंगे और उनकी पहुंच से बाहर हो सकते हैं। ऐसे में ईरान-इजराइल युद्ध का असर सीधे आपकी थाली तक पहुंच सकता है।
इस स्थिति ने न केवल व्यापारियों को चिंता में डाल दिया है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सावधान कर दिया है कि आने वाले समय में ड्राई फ्रूट्स महंगे होने के साथ-साथ उपलब्धता में भी कमी आ सकती है। युद्ध कब तक रुकेगा, इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं, लेकिन इसके प्रभावों का खामियाजा दिल्ली-एनसीआर की आम जनता को भुगतना पड़ सकता है।