राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल अब गणतंत्र मंडप के नाम से जाना जाएगा, अशोक हॉल को भी मिला नया नाम
punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2024 - 02:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति भवन के दो महत्वपूर्ण हॉलों, दरबार हॉल और अशोक हॉल के नाम बदल दिए गए हैं। दरबार हॉल अब गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल को अशोक मंडप के नाम से जाना जाएगा। राष्ट्रपति भवन की तरफ से गुरुवार (24 जुलाई) को जारी एक प्रेस रिलीज में इसकी जानकारी दी गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नाम में हुए बदलाव पर प्रसन्नता जाहिर की है।
विज्ञप्ति के अनुसार, नाम बदलने का उद्देश्य राष्ट्रपति भवन के माहौल को "भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचारों का प्रतिबिम्बित करना" है। राष्ट्रपति भवन, भारत के राष्ट्रपति का कार्यालय और निवास, राष्ट्र का प्रतीक है, और लोगों की अमूल्य विरासत है। विज्ञप्ति में कहा गया है, "इसे लोगों के लिए और अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचारों का प्रतिबिम्ब बनाने का निरंतर प्रयास किया गया है।"
President Droupadi Murmu renames two of the important halls of Rashtrapati Bhavan – namely, ‘Durbar Hall’ and ‘Ashok Hall’ – as ‘Ganatantra Mandap’ and ‘Ashok Mandap’ respectively: Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/2q6F5ZdVaq
— ANI (@ANI) July 25, 2024
राष्ट्रीय पुरस्कारों जैसे महत्वपूर्ण समारोहों स्थल है दरबार हॉल
दरबार हॉल राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों और उत्सवों का स्थल है। 'दरबार' शब्द का अर्थ भारतीय शासकों और अंग्रेजों के दरबार और सभाओं से है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत के गणतंत्र बनने के बाद इसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई है, यानी 'गणतंत्र'। 'गणतंत्र' की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गहराई से निहित है, इसलिए 'गणतंत्र मंडप' इस आयोजन के लिए उपयुक्त नाम है।
जानिए अशोक हॉल की खासियत
अशोक हॉल मूल रूप से एक बॉलरूम था। 'अशोक' शब्द का अर्थ है वह व्यक्ति जो "सभी कष्टों से मुक्त" या "किसी भी दुःख से रहित" हो। इसके अलावा, 'अशोक' का तात्पर्य सम्राट अशोक से है, जो एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक है। इसमें कहा गया है, "भारत गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ से अशोक का सिंह शीर्ष है। यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ कला और संस्कृति में भी गहरा महत्व है।" इसमें कहा गया है कि 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर 'अशोक मंडप' करने से भाषा में एकरूपता आएगी और अंग्रेजीकरण के निशान मिटेंगे, साथ ही 'अशोक' शब्द से जुड़े प्रमुख मूल्यों को बरकरार रखा जाएगा।