ड्रीम11 को भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा टैक्स नोटिस
punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2023 - 10:07 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सरकार कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के खिलाफ शिकंजा कस कर रही है। वहीं ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ड्रीम-11 की पैरेंट कंपनी ड्रीम स्पोर्ट्स को GST चोरी करने को लेकर नोटिस मिला है। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक ड्रीम-11 कंपनी को 40 हजार करोड़ का नोटिस मिला है। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ड्रीम 11 के खिलाफ कर के आरोप चौंका देने वाले हैं, कुल मिलाकर 40,000 करोड़ रुपए की भारी रकम है। यदि इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह भारत में अप्रत्यक्ष कराधान के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा दावा होगा।
हालांकि इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी से 25 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई है। इकॉनमिक टाइम्स रिपोर्ट के मुताबिक DGGI (Directorate General of GST Intelligence) ने GST चोरी के मामले में 12 ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग कंपनियों को 55 हजार करोड़ रुपए के टैक्स बकाए को लेकर नोटिस जारी किया है।
सरकार के इस कदम से ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है। इसके बाद ड्रीम 11 (स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड) की मूल कंपनी ड्रीम स्पोर्ट्स ने कथित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी और 28 का भुगतान न करने के लिए कर अधिकारियों द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है।
इन कंपनियों को भी मिला है नोटिस
रिपोर्ट के अनुसार, जिन अन्य कंपनियों को नोटिस मिला है उनमें हेड डिजिटल वर्क्स और प्ले गेम्स 24*7 शामिल हैं। इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, आगामी हफ्तों में गेमिंग कंपनियों को 1 लाख करोड़ रुपए तक के नोटिस पहुंच सकते हैं। बता दें कि यह नोटिस सरकार ने कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाने के निर्णय के बाद भेजे हैं।
Dream11 से पहले इस कंपनी को मिला था सबसे बड़ा कर नोटिस
बेंगलूरु की ऑनलाइन गेमिंग कंपनी गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को सितंबर 2022 में 21,000 करोड़ रुपए का कर नोटिस मिला था। अप्रत्यक्ष कर के इतिहास में इससे पहले इस तरह का यह सबसे बड़ा दावा था। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस नोटिस को खारिज कर दिया था। बाद में राजस्व विभाग ने उसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस महीने के आरंभ में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई इस महीने के अंत या अगले महीने के आरंभ में करने का फैसला किया था।