फैसला प्रेस की स्वतंत्रता की पुष्टि करता है, मीडियावन चैनल से प्रतिबंध हटाने का शशि थरूर ने किया स्वागत
punjabkesari.in Wednesday, Apr 05, 2023 - 09:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता शशि थरूर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता जॉन ब्रिटास ने बुधवार को मलयालम समाचार चैनल ‘मीडियावन' पर से प्रतिबंध हटाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर ने कहा, "फैसला प्रेस की स्वतंत्रता की पूरी तरह से पुष्टि करता है।शाबाश।" न्यायालय ने केंद्र द्वारा ‘मीडियावन' के प्रसारण पर लगाये गये प्रतिबंध को बुधवार को हटा दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में बिना तथ्यों के “हवा-हवाई” दावे करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रति अप्रसन्नता जताई।
फैसला प्रेस की स्वतंत्रता की जीत है
ब्रिटास ने कहा, "मीडियावन पर लगा प्रतिबंध हटाने का उच्चतम न्यायालय का फैसला प्रेस की स्वतंत्रता की जीत है। प्रेस को अनुचित प्रतिबंधों और वाक् स्वतंत्रता पर रोक से बचाना जरूरी है। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दावे विश्वसनीय कारणों पर आधारित होने चाहिए, न कि हवा-हवाई आधार पर।” उल्लेखनीय है कि 2022 में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने "सुरक्षा चिंताओं" का हवाला देते हुए इस टेलीविजन चैनल का लाइसेंस रद्द कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने ‘मीडियावन' के प्रसारण पर सुरक्षा आधार पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने संबंधी केरल उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।
सरकार प्रेस पर अनुचित प्रतिबंध नहीं लगा सकती
पीठ ने कहा कि सरकार प्रेस पर अनुचित प्रतिबंध नहीं लगा सकती, क्योंकि इसका प्रेस की आजादी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ ‘मीडियावन' चैनल के आलोचनात्मक विचारों को सत्ता-विरोधी नहीं कहा जा सकता क्योंकि मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है। पीठ ने कहा, ‘‘प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता से सच बोले और नागरिकों के समक्ष उन कठोर तथ्यों को पेश करे, जिनकी मदद से वे लोकतंत्र को सही दिशा में ले जाने वाले विकल्प चुन सकें। ''
साबित करने के लिए ठोस तथ्य होने चाहिए
उसने कहा, ‘‘सामाजिक आर्थिक राजनीति से लेकर राजनीतिक विचारधाराओं तक के मुद्दों पर एक जैसे विचार लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं।'' न्यायालय ने कहा कि किसी चैनल के लाइसेंस का नवीनीकरण न करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध है। शीर्ष अदालत ने कहा कि चैनल के शेयरधारकों का जमात-ए-इस्लामी हिंद से कथित संबंध चैनल के अधिकारों को प्रतिबंधित करने का वैध आधार नहीं है। उसने कहा कि सरकार कानून के तहत नागरिकों के लिए किए गए प्रावधानों से उन्हें वंचित करने के वास्ते राष्ट्रीय सुरक्षा का इस्तेमाल कर रही है। पीठ ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के हवा-हवाई दावे नहीं किए जा सकते। इन्हें साबित करने के लिए ठोस तथ्य होने चाहिए।''