Flood 2025: 'वो यहीं थी…' बाढ़ ने छीना सब कुछ, एक पिता को मलबे में मिला बेटी का तौलिया...रो-रो कर बोला-चमत्कार होगा

punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 08:44 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: टेक्सास का कैम्प मिस्टिक (Camp Mystic), जहां कभी गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी, आज सन्नाटा पसरा है।  ग्वाडालूपे नदी (Guadalupe River) ने महज 45 मिनट में 26 फीट तक अपना जलस्तर बढ़ाया, और इस शांत कैम्प को विनाश के मैदान में तब्दील कर दिया।

 जब नदी ने निगल लिया बचपन
इस भयावह बाढ़ में कैम्प मिस्टिक की कई इमारतें ध्वस्त हो गईं और बच्चों के रहने वाले केबिन पानी में बह गए। उस वक्त कैंप में करीब 750 बच्चियां मौजूद थीं, जिनमें से 27 अब भी लापता हैं। अब तक 43 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कुछ परिवारों को अपने बच्चों की पहचान किसी तौलिये, ब्रेसलेट या कीचड़ में पड़ी तस्वीरों से करनी पड़ी। यह सब उस त्रासदी का खामोश बयान हैं, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

 बेटी की तलाश में एक पिता
ऑस्टिन निवासी माइकल के लिए यह सप्ताह किसी भयावह सपने से कम नहीं रहा। शुक्रवार की सुबह उन्हें वो कॉल आया जिसे कोई भी माता-पिता कभी सुनना नहीं चाहेगा—"आपकी बेटी लापता है।" माइकल जब कैंप मिस्टिक पहुंचे, तो मलबे में उन्हें अपनी बेटी का नाम लिखा तौलिया, पास ही उसकी एक चूड़ी और कीचड़ में दबी एक पारिवारिक तस्वीर मिली। लेकिन बेटी नहीं मिली। इस बीच वह बेबस पिता कहता रहा, "वो यहीं थी... मैं जानता हूं, वो यहीं थी।" 

 एक बच्ची को हेलिकॉप्टर से बचाया गया
टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। हेलिकॉप्टर, नावें और ड्रोन की मदद से बचाव अभियान चल रहा है।
अब तक हजारों बचावकर्मी मलबे और पानी में फंसे लोगों को तलाशने में जुटे हैं। एक बच्ची को पेड़ से लटकते हुए पाया गया जिसे एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।

 तबाही का मंजर
कैंप मिस्टिक के डाइनिंग हॉल की पूरी दीवार बाढ़ में बह गई। मैदान में मैपल सिरप की बोतलें और टेबलों के टुकड़े कीचड़ में इधर-उधर बिखरे हैं। यह दृश्य बताता है कि जीवन कैसे कुछ ही मिनटों में बदल सकता है।

 सोशल मीडिया बना सहारा
अभिभावक अब सोशल मीडिया पर अपने बच्चों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं—किसी को अपनी बेटी की आखिरी लोकेशन याद है, किसी ने व्हाट्सएप पर भेजा गया वीडियो देखा था। राहत शिविरों में लंबी कतारें हैं, आंखों में बस एक ही सवाल—“क्या मेरी बच्ची मिल जाएगी?” स्थानीय निवासी गेरार्डो मार्टिनेज ने कहा, "यहां एक कहावत है कि हर सौ साल में एक बार ऐसी बाढ़ आती है... और अब वह साल आ चुका है।"

 ‘मुझे चमत्कार की उम्मीद है’
बाढ़ के तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन माइकल अब भी उस कीचड़ से सने कैम्प में हर कोने की खाक छान रहे हैं। “मुझे यकीन है कि वो मिलेगी... कोई चमत्कार जरूर होगा,” वे बार-बार दोहराते रहे।


 


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Content Writer

Anu Malhotra

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