PAK का यहां टूटा था गरूर, उनके 3000 बम बन गए थे खिलौना

punjabkesari.in Sunday, Aug 14, 2016 - 01:58 PM (IST)

नई दिल्‍ली: जैसलमेर के थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास स्थित सिद्ध तनोट राय माता मंदिर आज भारत ही नहीं पाकिस्तानी सैनिकों का भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। माता के इस मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबो गरीब यादें जुड़ी हुई हैं। तनोट राय को हिंगलाज मां का ही एक रूप कहा जाता हैं। भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर बना देवी का यह मंदिर, दोनों देशों के बीच हुई दो-दो लड़ाईयों का गवाह रहा है। पाकिस्तान ने कई बार इस मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन वह कभी सफल नहीं हो पाया।

1965 और 1971 की लड़ाई के दौरान पाकिस्‍तान द्वारा कई बार बम फेंके गए लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी। आज भी मंदिर के संग्रहालय में पाकिस्तान द्वारा दागे गए जीवित बम रखे हुए हैं। राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि युद्ध के दौरान तनोट राय माता ने भारतीय सैनिकों की मदद की इसके चलते ही पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान 17 से 19 नवंबर तक पाकिस्‍तान की ओर से तनोट राय माता मंदिर पर भारी बमबारी की गई।

दुश्मन के तोप जबर्दस्त आग उगलती रही थी। लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर में खरोच तक नहीं ला सके, यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे भी नहीं। माना जाता है कि तनोट माता के आशीर्वाद से ही ऐसा हुआ। उस दौरान तनोट राय माता की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थीं।

कब्जा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर जबर्दस्त हमले किए लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। अब तक गुमनाम रहा यह स्थान युद्ध के बाद प्रसिद्ध हो गया। माता के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती है। मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया। आज यहां का सारा प्रबन्ध सीमा सुरक्षा बल के हाथों में है। मंदिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं। पुजारी भी सैनिक ही है। बता दें कि बाबा रामदेव भी माता के दर्शनों के लिए पहुंचे थे।
 


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