अमेरिका पढ़ने वाले वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट, हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 02:33 PM (IST)
Washington: अमेरिका में पढ़ाई करने वाले छात्रों को लेकर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। कोविड महामारी के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के पहले नौ महीनों में भारतीय छात्रों को जारी किए गए एफ-1 छात्र वीजा में 38% की कमी दर्ज की गई है। इंडियन एक्सप्रेस ने काउंसलर मामलों के ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध गैर-प्रवासी वीजा रिपोर्ट का विश्लेषण किया है, जिससे पता चलता है कि महामारी के बाद से भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले एफ-1 वीजा का स्तर सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है।
इस साल जनवरी से सितंबर के बीच कुल 64,008 वीजा जारी किए गए, जबकि 2023 में इन्हीं महीनों के दौरान 1,03,495 वीजा जारी किए गए थे। 2021 में यह संख्या 65,235 और 2022 में 93,181 थी। महामारी के दौरान, 2020 के पहले नौ महीनों में भारतीय छात्रों को केवल 6,646 एफ-1 वीजा जारी किए गए थे। यह गिरावट केवल भारतीय छात्रों तक सीमित नहीं है। अमेरिका आने वाले चीनी छात्रों की संख्या में भी बड़ी गिरावट देखी गई है। 2024 में चीनी छात्रों की संख्या में 8% की कमी आई है। इस साल जनवरी से सितंबर तक चीनी छात्रों को कुल 73,781 एफ-1 वीजा जारी किए गए, जबकि पिछले साल यह संख्या 80,603 थी। हालांकि, यह 2022 में जारी किए गए 52,034 वीजा से अधिक है।
एफ-1 वीजा अमेरिका में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए एक गैर-प्रवासी श्रेणी का वीजा है। वहीं, एम-1 वीजा व्यावसायिक और गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए होता है। इंडियन एक्सप्रेस के विश्लेषण में एफ-1 वीजा पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो अमेरिकी छात्र वीजा का 90% से अधिक हिस्सा है।
विदेशी शिक्षा सलाहकारों ने F-1 वीजा में आई इस गिरावट के कई कारण बताए हैं। इसमें छात्रों को आने वाली दिक्कतें, लंबी वेटिंग टाइम और वीजा प्रक्रिया से जुड़ी चुनौतियां शामिल हैं। ReachIV.com की सीईओ विभा कागी ने बताया कि अमेरिका अभी भी छात्रों के लिए प्राथमिक गंतव्य बना हुआ है, लेकिन अब छात्र अपने विकल्प खुले रखने के लिए कनाडा, यूके और जर्मनी जैसे देशों को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।