370 पर चल रही सुनवाई के बाद आना, सिमी पर प्रतिबंध के खिलाफ तत्काल सुनवाई से SC का इनकार

punjabkesari.in Tuesday, Jul 25, 2023 - 05:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं की तत्काल सुनवाई का अनुरोध मंगलवार को ठुकरा दिया। न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने मामले को सूचीबद्ध करने का आग्रह करने वाले अधिकवक्ता को संविधान के अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर सुनवाई पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत का रुख करने का निर्देश दिया। अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि मामला 18 जनवरी को सुनवाई के लिए आया था और इसे तब से सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इस पर पीठ ने कहा, “अगले हफ्ते संविधान पीठ में (अनुच्छेद-370) पर सुनवाई शुरू होने वाली है। उक्त सुनवाई पूरी होने के बाद मामले का उल्लेख करें।”

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के सिमी के मकसद को पूरा नहीं होने दिया जा सकता। उसने कहा था कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्य अब भी विघटनकारी गतिविधियों में शामिल हैं, जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय में दायर जवाबी हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि सिमी के सदस्य अन्य देशों में मौजूद अपने सहयोगियों और आकाओं के ‘लगातार संपर्क' में हैं तथा उनकी गतिविधियां भारत में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द में खलल डाल सकती हैं।

‘जिहाद' के लिए युवाओं का समर्थन हासिल करना, सिमी का उद्देश्य
सरकार ने यह भी कहा था कि सिमी का उद्देश्य भारत में इस्लाम के प्रचार-प्रसार और ‘जिहाद' के लिए छात्रों एवं युवाओं का समर्थन हासिल करना है। हलफनामे के मुताबिक, रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट है कि 27 सितंबर 2001 को प्रतिबंधित किये जाने के बावजूद, बीच की एक संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, सिमी के सदस्य एकजुट हो रहे हैं, बैठक कर रहे हैं, साजिश रच रहे हैं, हथियार और गोला-बारूद हासिल कर रहे हैं तथा उन गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, “जो विघटनकारी प्रवृत्ति की हैं और भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने की क्षमता रखती हैं।”

हलफनामे में कहा गया था कि सिमी के अपने सदस्यों के जरिये पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और नेपाल में संपर्क हैं। इसमें कहा गया था कि छात्रों और युवाओं का संगठन होने के नाते जम्मू-कश्मीर से संचालित होने वाले विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी संगठन इसका इस्तेमाल करते हैं। सरकार ने कहा था कि सिमी 25 अप्रैल 1977 को अस्तित्व में आया था। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेईआईएच) में आस्था रखने वाले युवाओं और छात्रों के संगठन के रूप में इसकी स्थापना की गई थी। इसने 1993 में खुद को एक स्वतंत्र संगठन घोषित किया था।

संगठन पर लगाया प्रतिबंध आठवीं बार बढ़ाया
केंद्र ने कहा था कि जिस याचिकाकर्ता की अर्जी पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया है, उसने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण द्वारा 29 जुलाई 2019 को पारित आदेश को चुनौती दी है। इस आदेश में सिमी को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने के फैसले की पुष्टि की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 जनवरी 2019 को एक अधिसूचना जारी कर सिमी पर लगाया गया प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। सिमी पर सबसे पहले 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था। तब से प्रतिबंध की अवधि लगातार बढ़ाई जाती रही है। जनवरी 2019 में संगठन पर लगाया गया प्रतिबंध आठवीं बार बढ़ाया गया था। 

 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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