AI वॉयस क्लोनिंग से साइबर ठगों की नई चाल, बेटे की आवाज निकालकर उड़ाए लाखों रुपये

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 02:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में साइबर ठगी के मामलों ने एक नया मोड़ ले लिया है। अब ठग तकनीक की ऐसी चालाकी से वार कर रहे हैं कि शिकार को यह तक समझ नहीं आता कि सामने वाला असली है या नकली। खासतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी वॉयस क्लोनिंग तकनीक अब सबसे खतरनाक साइबर हथियार बनती जा रही है। अब ठग न केवल किसी बैंक अधिकारी या पुलिस वाले के नाम पर कॉल कर रहे हैं, बल्कि अपनों की आवाज़ बनाकर भरोसे को तोड़ रहे हैं। दिल्ली और मुंबई में सामने आए हालिया मामलों ने इस खतरे को और गंभीर बना दिया है।

दिल्ली में नकली भतीजा बना AI

दिल्ली के लक्ष्मी चंद चावला को एक दिन अनजान नंबर से कॉल आया। फोन करने वाला खुद को पुलिस अधिकारी बता रहा था। उसने दावा किया कि उनके भतीजे कपिल को एक गंभीर अपराध में गिरफ्तार किया गया है। कुछ ही पलों में कॉल पर कपिल जैसी आवाज़ आई घबराई हुई, मदद की गुहार लगाती। चावला और उनकी पत्नी का दिल पसीज गया और उन्होंने बिना देर किए 50,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। थोड़ी देर बाद जब दूसरी बार 2 लाख रुपये की डिमांड की गई, तो उन्हें शक हुआ। उन्होंने परिवार से बात की और हैरानी की हद पार हो गई जब पता चला कि कपिल तो घर पर ही सुरक्षित था। यह पूरा मामला एक AI वॉयस क्लोनिंग फ्रॉड का था, जिसमें कपिल की आवाज़ हूबहू नकल की गई थी।

मुंबई में विदेश से आई बेटे की गुहार

मुंबई के रहने वाले केटी विनोद को एक दिन कॉल आया जिसमें बताया गया कि उनके बेटे अमित को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है। कुछ ही देर में उन्होंने अमित की आवाज़ में सुना “पापा, मुझे यहां से निकालो।” बेटे की घबराई हुई आवाज़ सुनते ही उन्होंने तुरंत 80,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब बेटे से बात हुई तो सच्चाई सामने आई वह तो घर पर ही था और आवाज़ पूरी तरह से कृत्रिम तकनीक से बनाई गई नकली आवाज़ थी।

कैसे होती है AI वॉयस क्लोनिंग?

AI वॉयस क्लोनिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी भी व्यक्ति की आवाज़ को रिकॉर्ड कर उसका हूबहू डिजिटल क्लोन तैयार किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल 3 से 5 सेकंड की आवाज रिकॉर्डिंग से ही ये संभव है। क्रिस्टोफ सेंपर जो AIPRM नामक संस्था के संस्थापक हैं, बताते हैं कि 2024 में यह तकनीक सबसे तेजी से इस्तेमाल होने वाला साइबर फ्रॉड टूल बन चुका है। लोगों को असली और नकली आवाज में फर्क कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है।

कैसे बचें इस AI धोखाधड़ी से?

  1. कोडवर्ड तय करें:
    अपने परिवार, बच्चों या करीबी दोस्तों के साथ एक गुप्त कोडवर्ड तय करें। अगर कभी कोई आपात स्थिति में कॉल आए, तो कोडवर्ड पूछें। जवाब न आने पर समझ जाएं कि सामने वाला नकली है।

  2. सीधा संपर्क करें:
    अगर किसी संस्था, पुलिस या परिचित के नाम पर कॉल आए, तो तुरंत कॉल काटें और उसी व्यक्ति को उसकी सेव की गई ID या नंबर पर कॉल करें।

  3. वॉयस नोट भेजने से बचें:
    अनजान लोगों को “हैलो” या वॉयस नोट्स न भेजें। यही छोटी रिकॉर्डिंग AI को आपकी आवाज क्लोन करने के लिए काफी होती है।

  4. भावनात्मक ब्लैकमेल से सावधान:
    स्कैमर्स जल्दबाज़ी में, डर या भावनात्मक दबाव बनाकर तुरंत पैसे ट्रांसफर करवाना चाहते हैं। ऐसे में शांत दिमाग से सोचें और क्रॉस-वेरिफाई करें।

  5. साइबर हेल्पलाइन नंबर सेव रखें:
    भारत सरकार की साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत शिकायत करें अगर संदेह हो कि आप ठगी के शिकार हो रहे हैं।

AI की दुनिया में रिश्तों की परख ज़रूरी

तकनीक जितनी तेज़ी से हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, उतनी ही तेजी से धोखेबाज इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अब सिर्फ बैंकिंग फ्रॉड नहीं, बल्कि रिश्तों की भावनाओं को भी स्कैम का ज़रिया बनाया जा रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम खुद को सतर्क रखें, अपनों के साथ विश्वास के कुछ संकेत पहले से तय करें और हर भावनात्मक कॉल पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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