नेपाल सीमा से सटे जिलों में मदरसों पर कार्रवाई से भड़की जमीयत, योगी सरकार के खिलाफ जाएगी हाईकोर्ट

punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 07:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश में नेपाल सीमा से सटे जिलों में 200 से ज्यादा मदरसों को प्रशासन द्वारा बंद किए जाने पर देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने नाराजगी जताई है। संगठन का कहना है कि यह कार्रवाई ना सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि मुस्लिम समाज की धार्मिक शिक्षा पर भी सीधा हमला है। जमीयत अब इस मुद्दे को अदालत में चुनौती देने की तैयारी में है। 22 मई 2025 को लखनऊ में जमीयत की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता मौलाना अशहद रशीदी ने की। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश सरकार की ओर से बहराइच, श्रावस्ती, महराजगंज, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जैसे जिलों में मदरसों पर की गई कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। जमीयत के विधिक सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने साफ कहा कि, “यह कार्रवाई ना केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का भी उल्लंघन है।"

शिक्षा का अधिकार कानून और सुप्रीम कोर्ट का हवाला

रशीदी ने कहा कि संविधान के तहत सभी को शिक्षा का अधिकार है और मदरसों को भी इसका संरक्षण प्राप्त है। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भी यह माना था कि मदरसे धार्मिक और शैक्षिक संस्थान हैं, जिन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वयं 20 दिसंबर 2024 को मदरसों पर कार्रवाई को रोकने का निर्देश दिया था, फिर भी हाल के महीनों में प्रशासन ने बिना मान्यता वाले मदरसों को जबरन बंद कराया है।

नेपाल सीमा से सटे जिलों में कार्रवाई पर विशेष नाराजगी

उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से सटे जिलों में खासतौर पर बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में प्रशासन ने इन मदरसों को अवैध कब्जा और मान्यता न होने के आधार पर बंद कराया है। जमीयत का आरोप है कि इन कार्रवाइयों में कई बार बिना जांच और कानूनी प्रक्रिया के ही ताले डाल दिए गए।

वक्फ अधिनियम और मुस्लिम शिक्षा पर भी चर्चा

बैठक में केवल मदरसों पर कार्रवाई ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम पर भी गंभीर चर्चा की गई। मौलाना रशीदी ने कहा कि इस कानून के खिलाफ देशभर में कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और जैसे ही फैसला आता है, संगठन की अगली रणनीति तय की जाएगी। साथ ही बैठक में यह भी चर्चा हुई कि मुस्लिम समाज में शत-प्रतिशत शिक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। जमीयत की जिला इकाइयों को इसके लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

150 से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा

इस बैठक में संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष मुफ्ती अशफाक, महासचिव हाफिज अब्दुल कुद्दूस, मौलाना गुफरान कासमी और प्रदेश भर से आए 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी का मत था कि योगी सरकार की कार्रवाई के खिलाफ संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताना जरूरी है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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